साहिबगंज: झारखंड राज्य अलग होने से लगभग 25 वर्ष होने को है परंतु आज भी झारखंड राज्य में पेशेवर व परंपरागत मछुआरों की स्थिति दिन व दिन खराब होती जा रही है। जहां गोढ़ी, बिन्द, मल्लाह, बनपर ऐसे अनेक उपजातियां हैं जो परंपरागत और पेशेवर रूप से मछली के कार्यों से जुड़कर अपने एवं अपने परिवार का भरण पोषण किया करते हैं। जहां आज मछुआरा समाज सरकारी उपेक्षा और राजनीत का शिकार बन चुकी है। वही झारखंड प्रदेश में लगभग 14% प्रतिशत आबादी वाले इस जाति को झारखंड के किसी भी राजनीतिक दल मछुआरा समुदाय को तब्बजो नहीं दे रहे हैं जिसका कारण है की सभी मछुआरे विभिन्न वर्गों में बैठे रहने के कारण उनकी असली पहचान विलुप्त होते जा रही है। उधर अधिकांश दल इस मछुआरों को सिर्फ वोट बैंक समझते हैं और वोट के समय ही उनके पास आते हैं जहां स्थिति इतनी विकट हो चुकी है कि कल तक जो जलकर पोखरों की बंदोबस्ती परंपरागत पेशेवर मछुआरों को आजीविका के लिए किए जाते थे अब यह भी छीनकर बाहर के लोगों को दिए जा रहे हैं। इससे परंपरागत व पेशेवर मछुआरों का पारंपरिक जीवन यापन संकट में पड़ गया है। उधर समुदाय के लोगों का कहना है कि अगर जल्दी कोई ठोस नीति नहीं बनी और उनकी जीविका की सुरक्षा नहीं की गई तो यह पारंपरिक व्यवसाय पूरी तरह समाप्त हो सकता है। जहां अब समय आ गया है कि सरकार और राजनीतिक दल इस समुदाय की ओर गंभीरता से ध्यान दें और उनके हक और सम्मान की रक्षा करें। उधर साहिबगंज जिला झारखंड का एकमात्र जिला है जहां गंगा नदी बहती है और 85 किलोमीटर की दूरी तय कर फरक्का बराज होते हुए पश्चिम बंगाल की खाड़ी में गिरती है। उधर साहिबगंज के परंपरागत मछुआरा एवं जेएलकेएम नेता राजमल विधानसभा के पूर्व प्रत्याशी मोती लाल सरकार ने कहा कि झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला के अलावा संपूर्ण झारखंड के मछुआरों को सरकारी लाभ हेतु अलग से मछुआरा विभाग बनाया गया है परंतु सरकार के गलत नीतियों के कारण आज पेशेवर मछुआरों का भुखमरी का सामना करना पड़ रहा है। उधर सभी जिलों की भांति साहिबगंज में भी फीस मार्केट बनाना जरूरी है जहां आए दिन मछली विक्रेताओं को जहां तहां रोड किनारे मछली बेचने को मजबूर होना पड़ता है। आगे श्री सरकार ने बताया कि कुछ दिन पहले उनके द्वारा मत्स्य विभाग के विभागीय सचिव, निदेशक मत्स्य, उपायुक्त एवं जिला मत्स्य पदाधिकारी को पत्र लिखकर इसकी मांग की गई थी परंतु आज तक इस पर कोई पहल नहीं हो पाया है। वही श्री सरकार ने यह भी कहा कि बिहार सरकार ने मछुआरों के अपने अधिकारों को विकेंद्रीकरण हेतु मछुआरा आयोग का गठन किया है जहां झारखंड में भी समुदाय के द्वारा इसकी मांग की जा रही है। जहां उन्होंने झारखंड सरकार से मांग किया है कि यथाशीघ्र झारखंड में भी मछुआरा आयोग का गठन हो। इस निमित्त झारखंड प्रदेश के मछुआरों से जुड़े कई ज्वलंत मुद्दों पर विचार विमर्श एवं आगे की रणनीति बनाने हेतु आगामी दिनांक 19 जून 2025 को अपराह्न 11 बजे से अपने अधिकार की लड़ाई हेतु झारखंड राज्य मछुआरा परिषद के बैनर तले पुराना विधानसभा रांची में एक बैठक का आयोजन किया गया है जिसमें साहिबगंज जिले के साथ साथ अन्य जिलों के मछुआरा प्रतिनिधि भाग लेंगे।
