बिजली बिल को लेकर बढ़ा विवाद, गुजराती स्कूल के सचिव की जगह ट्रस्टी को भेजा बिल, टाटा स्टील को भेजा गया लीगल नोटिस

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जमशेदपुर। शहर में गुजराती समाज से जुड़े शैक्षणिक संस्थानों के प्रबंधन को लेकर चल रहा विवाद अब एक बार फिर चर्चा में है। जमशेदपुर गुजराती समाज की ओर से सचिव जयेश आर. अमीन एवं सदस्य दर्शन भट्ट के प्रतिनिधित्व में वरिष्ठ अधिवक्ता सुधीर कुमार पप्पू ने टाटा स्टील के एमडी सहित टाउन एडमिनिस्ट्रेशन हेड, चीफ कॉरपोरेट सर्विस और टाउन इलेक्ट्रिकल चीफ को लीगल नोटिस भेजा है।



1936 और 1963 में मिली थी जमीन, स्कूल चला रहा है गुजराती समाज

लीगल नोटिस में बताया गया है कि 1936 व 1963 में श्री गुजराती समाज के अनुरोध पर टाटा स्टील (तत्कालीन टिस्को लिमिटेड) द्वारा लीज पर दी गई जमीन पर नर्वेराम हंसराज गुजराती एमई स्कूल, डीएन कमानी गुजराती स्कूल और नर्वेराम हंसराज इंग्लिश स्कूल संचालित हैं। इन स्कूलों का बिजली कनेक्शन उपभोक्ता क्रमांक 0000685 एवं बीपी क्रमांक 0010023064 के तहत लिया गया था और सचिव के नाम से फरवरी 2025 तक बिल का नियमित भुगतान होता रहा।

अब ट्रस्टी के नाम बिल भेजा, बताया गया मनमाना और अवैध

अधिवक्ता पप्पू ने नोटिस में कहा है कि अब बिना किसी पूर्व सूचना और सहमति के मार्च 2025 से बिजली का बिल सचिव की जगह कथित ट्रस्टी के नाम पर जारी किया गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह न केवल मनमाना निर्णय है, बल्कि साजिश, धोखाधड़ी और आपराधिक कृत्य के दायरे में आता है।



जाली दस्तावेजों का आरोप, कोर्ट में मामला विचाराधीन

नोटिस में यह भी उल्लेख किया गया है कि ट्रस्टी बनने के लिए जिन दस्तावेजों का उपयोग किया गया है, वे जाली हैं। सिविल अपील संख्या 15/2025 कोर्ट ऑफ एंड सेशन जज, जमशेदपुर में टाइटल सूट को लेकर मामला विचाराधीन है। ऐसे में जब तक न्यायालय का निर्णय नहीं आ जाता, तब तक किसी भी पक्ष में निर्णय लेना कानून के खिलाफ है।



समय पर जवाब नहीं देने पर बढ़ेगी कानूनी कार्रवाई

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सचिव द्वारा भेजे गए पत्र की प्राप्ति के बावजूद टाटा स्टील प्रबंधन की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं दिया गया है। इस कारण अब समाज की ओर से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जाएगा।

विवाद का लंबा इतिहास, गुजराती समाज और जैन गुजराती समाज आमने-सामने

उल्लेखनीय है कि इन स्कूलों के प्रबंधन को लेकर श्री गुजराती समाज और जैन गुजराती समाज के बीच पिछले कई वर्षों से विवाद चला आ रहा है। यह ताजा मामला उसी पुराने विवाद की कड़ी के रूप में देखा जा रहा है।

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