दिल्ली :सुप्रीम कोर्ट ने 21 जनवरी को एक अहम फैसले में झारखंड सरकार की अपील को खारिज कर दिया। इस अपील में भाजपा सांसद डॉ. निशिकांत दुबे और गायक-सांसद मनोज तिवारी के खिलाफ दर्ज FIR को चुनौती दी गई थी। कोर्ट ने झारखंड हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए कहा कि FIR में कोई वैधानिक आधार नहीं है।
2019 का मामला: चुनावी रैली में धार्मिक भावनाएं भड़काने का आरोप
यह मामला 2019 के लोकसभा चुनाव प्रचार का है। गोड्डा में आयोजित एक चुनावी सभा में निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी पर आरोप लगाया गया था कि उन्होंने धार्मिक भावनाओं को भड़काने और आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन किया। इन आरोपों के आधार पर झारखंड पुलिस ने गोड्डा थाने में FIR दर्ज की थी।
हालांकि, झारखंड हाईकोर्ट ने इस FIR को पहले ही खारिज कर दिया था। इसके बाद राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया।
सुप्रीम कोर्ट ने क्यों खारिज की झारखंड सरकार की अपील?
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में झारखंड सरकार की दलीलों को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा:
FIR में कोई ठोस या वैधानिक आधार नहीं है।
हाईकोर्ट का फैसला सही और न्यायसंगत था।
रैली में दिए गए भाषणों से किसी अपराध का गठन नहीं होता।
यह फैसला न्यायमूर्ति की पीठ ने सुनाया, जो झारखंड सरकार के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है।
निशिकांत दुबे और मनोज तिवारी की प्रतिक्रिया
फैसले के बाद, निशिकांत दुबे ने इसे सत्य की जीत बताया। उन्होंने कहा:
“यह राजनीति से प्रेरित मामलों के खिलाफ एक सख्त संदेश है। हम जनता की सेवा के लिए समर्पित हैं।”
मनोज तिवारी ने भी फैसले का स्वागत किया और कहा:
“हमने हमेशा कानून का पालन किया है। इस फैसले ने सच को साबित किया है।”
राजनीतिक असर: BJP को राहत, झारखंड सरकार को झटका
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला भाजपा के लिए बड़ी राहत और झारखंड सरकार के लिए राजनीतिक झटका माना जा रहा है। राज्य में यह मामला राजनीतिक बहस का केंद्र बन गया है।