संघ के शताब्दी वर्ष पर विजयादशमी उत्सव, जमशेदपुर में निकाला गया पथ संचलन हजारों स्वयंसेवकों ने लिया भाग, समाज ने पुष्पवर्षा कर किया स्वागत

SHARE:

जमशेदपुर।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में इस बार विजयादशमी उत्सव विशेष रूप से मनाया गया। मंगलवार को शहर के विभिन्न नगरों में संघ के स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक घोष सह पथ संचलन निकाला। इस अवसर पर हजारों बाल एवं तरुण स्वयंसेवकों ने अपनी सक्रिय भूमिका निभाई और समाज ने भी बढ़-चढ़कर सहभागिता दिखाई।

विभिन्न नगरों से निकला पथ संचलन

पथ संचलन गाढ़ाबासा सेंटर मैदान से बर्मामाइन्स, फार्म हाउस एरिया से कदमा, गणेश पूजा मैदान से सिदगोड़ा, बाराद्वारी से साकची, मानगो हिल व्यू कॉलोनी, खड़िया बस्ती व गुरुद्वारा बस्ती से मानगो, स्वामी सहजानंद सरस्वती संस्थान से गोविंदपुर और हरिओमनगर से आदित्यपुर में निकाला गया।
मार्च के दौरान कई स्थानों पर मातृशक्ति ने पुष्पवर्षा कर स्वयंसेवकों का अभिनंदन किया। भारत माता की जय के गगनभेदी उद्घोष से पूरा माहौल गूंज उठा।

शस्त्र पूजन एवं बौद्धिक कार्यक्रम

संचलन के बाद अलग-अलग नगरों में शस्त्र पूजन सह विजयादशमी उत्सव का आयोजन हुआ। इस दौरान विभाग प्रचारक सत्यप्रकाश जी, प्रांत बालकार्य प्रमुख सूरज जी, विभाग प्रचार प्रमुख आलोक जी, महानगर कार्यवाह रवींद्र जी, सह महानगर कार्यवाह मृत्युंजय जी, महानगर संपर्क प्रमुख सुनील जी, सह नगर कार्यवाह उत्पल जी सहित कई पदाधिकारियों ने विचार व्यक्त किए।

1925 से 2025 : संघ की 100 वर्ष की यात्रा

वक्ताओं ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार ने 1925 में नागपुर में विजयादशमी के दिन की थी। तब से लेकर अब तक संघ निरंतर समाज जागरण और संगठन निर्माण के कार्य में लगा हुआ है।
उन्होंने कहा कि “विजयादशमी सात्विक और दैवीय शक्ति की असुरी शक्तियों पर विजय का प्रतीक है। डॉ. हेडगेवार ने हिंदू समाज में नवचेतना, आत्मविश्वास और संगठन की भावना के साथ यह कार्य प्रारंभ किया था।”

शताब्दी वर्ष में संघ का आह्वान

संघ ने अपने शताब्दी वर्ष में समाज में पांच महत्वपूर्ण परिवर्तनों का आह्वान किया है –

1. सामाजिक समरसता : सभी हिंदू भारत माता के पुत्र और सहोदर हैं।
2. कुटुंब प्रबोधन : सशक्त व जागरूक परिवार से समाज का निर्माण।
3. पर्यावरण संरक्षण : जलवायु परिवर्तन व प्रदूषण से निपटने के उपाय।
4. स्वदेशी आग्रह : स्वभाषा, भारतीय वेशभूषा और विदेशी वस्तुओं का न्यूनतम प्रयोग।

5. नागरिक कर्तव्य पालन : नियमों और दायित्वों का निर्वहन।

वक्ताओं ने कहा कि “संघ का अंतिम लक्ष्य है – हिंदू समाज को जागृत, संस्कारित और शक्ति संपन्न बनाना। संघ कोई अलग संगठन नहीं, बल्कि संपूर्ण हिंदू समाज का संगठन है।”


Leave a Comment