राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शिक्षक भर्ती प्रक्रिया में हुए बड़े बदलाव।
नई दिल्ली:विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) ने शिक्षक भर्ती प्रक्रिया से जुड़े नियमों में बड़े बदलाव किए हैं। नए नियमों के तहत अब उच्च शिक्षा संस्थानों में बिना UGC NET और PhD के भी शिक्षक नियुक्ति संभव होगी। हालांकि, इसके लिए कुछ शर्तें लागू होंगी। यह निर्णय राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत लिया गया है।
बिना NET और PhD के शिक्षक बनने का रास्ता खुला
UGC के नए नियमों के अनुसार, अब उच्च शिक्षा संस्थानों में NET और PhD के बिना भी प्रोफेसर बनने का अवसर मिलेगा। अस्थायी प्रोफेसर (Professor of Practice) के रूप में उद्योग जगत से जुड़े विशेषज्ञों को नियुक्त किया जा सकेगा।
क्या हैं Professor of Practice?
कार्यकाल: 3 साल (आवश्यकता अनुसार बढ़ाया जा सकता है)।
योग्यता: इस पद के लिए NET या PhD की आवश्यकता नहीं होगी।
उद्देश्य: उद्योग जगत के विशेषज्ञों को शिक्षण से जोड़ना और छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना।
शिक्षक भर्ती में योग्यता संबंधी बदलाव
नए नियमों के तहत योग्यता
1. चार वर्षीय स्नातक (4-Year UG Degree) धारक और PhD किए हुए उम्मीदवार मास्टर्स डिग्री के बिना भी असिस्टेंट प्रोफेसर के लिए आवेदन कर सकते हैं।
2. विषयों की समानता की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। अब संबंधित या इंटरडिसिप्लिनरी विषयों में योग्यता रखने वाले उम्मीदवार भी आवेदन कर सकते हैं।
API सिस्टम से मिलेगा छुटकारा
नए नियमों के अनुसार, अब शिक्षक प्रमोशन में API (Academic Performance Indicator) सिस्टम लागू नहीं होगा। इससे न केवल प्रमोशन प्रक्रिया आसान होगी, बल्कि शिक्षकों को अपने व्यक्तिगत और अकादमिक पैशन पर ध्यान केंद्रित करने का अवसर भी मिलेगा।
ड्राफ्ट पर मांगा जाएगा फीडबैक
UGC ने इन बदलावों का ड्राफ्ट 6 जनवरी 2025 को जारी किया है। हितधारकों से इस पर फीडबैक मांगा गया है। अंतिम निर्णय से पहले इसे सार्वजनिक विचार-विमर्श के बाद लागू किया जाएगा।
1 thought on “UGC New Rules 2025 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग: शिक्षक नियुक्ति के नए नियम जारी, जानें बड़े बदलाव”
महाशय
शिक्षक नियुक्ति में नेट और एचडी के अनिवार्यता को लागू करना सही है सही है परंतु यूजीसी को यह भी देखना होगा की पूरे भारत में किन-किन विश्वविद्यालय में वर्षों से एचडी नहीं हो पा रही है जहां हो रही है बहुत साड़ी बहुत सारी गड़बड़ियां है छात्र प्राइवेट विश्वविद्यालय की तरफ कर रहे हैं जहां पर पैसे देकर PhD के डिग्री ले ले रहे हैं और उन्हें सचिन कार्य का अनुभव में नहीं है