Prayaag : संभल स्थित जामा मस्जिद और हरिहर मंदिर विवाद से जुड़े एक अहम मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मंगलवार को दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। यह मामला अब एक निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है, जिसकी सुनवाई जस्टिस रोहित रंजन अग्रवाल की एकल पीठ द्वारा की गई।

सुनवाई के दौरान मस्जिद कमेटी, मंदिर पक्ष की ओर से अधिवक्ता हरिशंकर जैन और भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के अधिवक्ताओं की दलीलों को विस्तार से सुना गया। 5 मई को ASI द्वारा दाखिल किए गए जवाबी हलफनामे के बाद मस्जिद पक्ष को ‘रिज्वाइंडर’ दाखिल करने की अनुमति दी गई थी। उसी प्रक्रिया की अगली कड़ी में यह सुनवाई 13 मई को निर्धारित की गई थी।

इस आदेश को मस्जिद कमेटी ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी, जिसके तहत कोर्ट ने न केवल सर्वेक्षण आदेश की वैधता की समीक्षा शुरू की, बल्कि जिला अदालत में लंबित वाद की सुनवाई पर भी अगली तारीख तक रोक लगा दी थी।

मूल मामला उस समय प्रकाश में आया जब अधिवक्ता हरिशंकर जैन समेत सात अन्य याचिकाकर्ताओं ने संभल की जिला अदालत में यह दावा किया कि कथित शाही ईदगाह मस्जिद एक प्राचीन हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर के बनाई गई है। उन्होंने मस्जिद में पूजा-अर्चना और प्रवेश की अनुमति मांगी थी। इसके जवाब में जिला अदालत ने मस्जिद परिसर का ASI सर्वे कराने का आदेश दिया था।

अब जबकि कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद निर्णय सुरक्षित रख लिया है, इस बहुचर्चित मामले पर पूरे देश की निगाहें टिकी हुई हैं। आने वाले दिनों में यह मामला सांप्रदायिक सौहार्द, धार्मिक स्थल संरक्षण और ऐतिहासिक साक्ष्य के विश्लेषण की दृष्टि से एक अहम नजीर बन सकता है।