हाईकोर्ट और जमशेदपुर कोर्ट में श्रमिक नेता के खिलाफ मामले ने लिया नया मोड़,अग्रिम जमानत को लेकर आया फैसला

SHARE:

Ranchi : कोरोना काल में श्रमिकों के लिए 100% आर्थिक सहयोग सुनिश्चित कराने की मांग को लेकर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले इंटक के मजदूर नेता राजीव पांडे को झारखंड हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने सोमवार को उनकी अग्रिम जमानत को बरकरार रखते हुए, स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स लिमिटेड (SSWL) द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया।

जानकारी के अनुसार, वर्ष 2020 में CRMP 2825/2020 के तहत अग्रिम जमानत लेने वाले श्री पांडे के खिलाफ कंपनी प्रबंधन ने इसे रद्द कराने की मांग करते हुए याचिका दायर की थी। कंपनी ने इसे 2016 के GR केस संख्या 54/2016 (हड़ताल, तोड़फोड़, आगजनी आदि) से जोड़ने की कोशिश की थी।

हालांकि, सोमवार को मामले की सुनवाई के दौरान कंपनी के अधिवक्ता अभिषेक प्रसाद ने स्वयं याचिका को वापस लेने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यह मामला किसी अन्य उचित मंच पर उठाया जाएगा। न्यायालय ने इस अनुरोध को स्वीकार करते हुए अग्रिम जमानत को बरकरार रखा।

जमशेदपुर कोर्ट में सुनवाई में आया नया मोड़

उधर, जमशेदपुर के ADJ-2 न्यायालय (न्यायाधीश श्री आभास वर्मा) में भी SSWL बनाम राजीव पांडे प्रकरण की सुनवाई चल रही है, जो 2016 के आंदोलन से जुड़ा है। सोमवार को इस केस में अनुसंधानकर्ता (IO) दिलीप कुमार साव की गवाही निर्धारित थी, लेकिन उनकी अनुपस्थिति के चलते सुनवाई बाधित हुई।

न्यायालय ने इसपर सख्त रुख अपनाते हुए:

IO को नोटिस जारी किया,

4 आरोपियों के विरुद्ध अजमानतीय वारंट,

3 अन्य को सम्मन जारी करने का आदेश दिया।

गवाह की विश्वसनीयता पर उठे सवाल

इस केस में श्रमिक नेता राजीव पांडे ने स्वयं राजकमल तिवारी नामक गवाह से तीखी जिरह की। उन्होंने गवाह के बयानों, घटनास्थल की जानकारी, और आंदोलन की पृष्ठभूमि से संबंधित कई बिंदुओं पर सवाल उठाए। श्री पांडे ने न्यायालय में यह भी कहा यह केवल एक आपराधिक मुकदमा नहीं, बल्कि श्रमिक अधिकारों, श्रम कानूनों के उल्लंघन और श्रम विभाग की निष्क्रियता से जुड़ा एक बड़ा सामाजिक प्रश्न भी है। हमें न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है और हम तथ्यों के आधार पर ही न्याय की अपेक्षा करते हैं।

न्यायिक प्रक्रिया निर्णायक मोड़ पर

IO की अनुपस्थिति, गवाहों की विश्वसनीयता पर उठे सवाल और जारी वारंट/सम्मन की कार्रवाई ने इस मामले को एक निर्णायक मोड़ पर ला दिया है। अगली सुनवाई में यह तय होगा कि न्यायिक प्रक्रिया किस दिशा में आगे बढ़ेगी — क्या यह श्रमिकों के पक्ष में न्याय सुनिश्चित करेगी या प्रबंधन के दबाव में कुछ और निष्कर्ष सामने आएंगे।

Leave a Comment

और पढ़ें