नई दिल्ली | 16 जून 2025
देशभर में जनगणना को लेकर लंबे समय से जारी प्रतीक्षा आखिरकार खत्म हो गई है। भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने जनगणना अधिनियम 1948 के अंतर्गत जनगणना 2027 से संबंधित गजट अधिसूचना जारी कर दी है। इसके साथ ही जातीय जनगणना को लेकर भी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं, जो आगामी जनगणना को ऐतिहासिक और विस्तृत बनाने की दिशा में एक अहम कदम माना जा रहा है।
जनगणना क्यों है महत्वपूर्ण?
जनगणना केवल जनसंख्या की गणना नहीं, बल्कि देश के सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य का विस्तृत दस्तावेज होता है। इसके आधार पर ही सरकार नीतियां बनाती है, संसाधनों का वितरण तय होता है और कल्याणकारी योजनाओं को लागू किया जाता है।
जातीय जनगणना पर भी केंद्रित होगी प्रक्रिया
इस बार की जनगणना में एक विशेष पहल के तहत जातीय आधार पर भी आंकड़े एकत्र किए जाएंगे, जिससे सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े वर्गों के लिए नीति निर्धारण में मदद मिल सके। यह कदम कई वर्षों से विभिन्न संगठनों और जनप्रतिनिधियों की मांग रही है।
जनगणना की तैयारियों की शुरुआत
गृह मंत्रालय की अधिसूचना के अनुसार अब जल्द ही राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में प्रशिक्षण कार्यक्रम, डिजिटल प्लेटफॉर्म्स की तैयारी, डाटा संग्रहण तकनीकों का निर्धारण और कार्मिकों की नियुक्ति जैसे कार्यों की शुरुआत होगी। 2027 में जनगणना पूरी तरह से डिजिटल और पेपरलेस होने की संभावना है, जिसमें मोबाइल एप्स और टैबलेट का उपयोग किया जाएगा।
कोविड के कारण हुई थी पिछली जनगणना स्थगित
गौरतलब है कि 2021 में प्रस्तावित जनगणना, कोविड-19 महामारी के चलते स्थगित कर दी गई थी। इसके चलते अब 2027 में होने वाली जनगणना को और भी अधिक व्यापक और सटीक बनाने की तैयारी है।
क्या बोले विशेषज्ञ?
जनसंख्या और सामाजिक शोध से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि “जातीय जनगणना से नीति निर्माण को गहराई और दिशा दोनों मिलेंगी। सरकार यदि इस आंकड़े का समुचित विश्लेषण करे तो सामाजिक न्याय की दिशा में बड़ी छलांग संभव है।”