Jamshedpur : सर्कुलर इकॉनॉमी और टिकाऊ औद्योगिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देने की दिशा में एक अहम कदम उठाते हुए, टाटा स्टील के फेरो एलॉय एंड मिनरल्स डिवीजन (FAMD) ने ओडिशा के गंजाम स्थित गोपालपुर फेरो एलॉय प्लांट (FAP) में 1.5 किलोमीटर लंबी आंतरिक सड़क का निर्माण फेरोक्रोम स्लैग चिप्स से किया है। यह स्लैग फेरोक्रोम धातु के उत्पादन के दौरान उप-उत्पाद के रूप में निकलता है।
इस अभिनव पहल से ठोस अपशिष्ट प्रबंधन को नया दृष्टिकोण मिला है और पर्यावरणीय प्रभाव में भी उल्लेखनीय कमी आई है। सड़क निर्माण में लगभग 3,500 टन स्लैग एग्रीगेट्स (6 से 20 मिमी आकार के) का उपयोग किया गया, जिससे पारंपरिक पत्थर आधारित एग्रीगेट्स की आवश्यकता समाप्त हो गई और खनन पर निर्भरता घटी।
इसके अलावा, FAMD ने गोपालपुर और कटक जिले के अठगढ़ स्थित अपने संयंत्रों में स्लैग बेड और स्लैग पैन ड्रेसिंग प्रक्रियाओं में नदी की रेत की जगह आंशिक रूप से फेरोक्रोम स्लैग फाइंस का उपयोग शुरू किया है। इस कदम से गोपालपुर इकाई में नदी रेत की मासिक खपत में 35% और अठगढ़ इकाई में 10% की कमी दर्ज की गई है।
FAMD के कार्यकारी प्रमुख पंकज सतीजा ने कहा, “उद्योगों को संसाधनों की जिम्मेदार खपत सुनिश्चित करने के लिए सर्कुलरिटी को अपनाने की आवश्यकता है। फेरोक्रोम स्लैग का पुनः उपयोग न केवल नदी पारिस्थितिकी तंत्र पर दबाव कम करता है, बल्कि यह हमें अन्य सह-उत्पादों के नवोन्मेषी उपयोग की दिशा में प्रेरित करता है, जिनका उत्पादन virgin संसाधनों से होता और जो भूमि क्षरण व वनस्पति हानि का कारण बनते।”
परंपरागत रूप से, फेरोएलॉय उत्पादन में नदी की रेत और सोडियम सिलिकेट जैसे बाइंडरों का मिश्रण कास्टिंग पैन के आधार और लिक्विड मेटल व स्लैग को संभालने के दौरान ‘पार्टिंग एजेंट’ के रूप में उपयोग किया जाता रहा है। इन कार्यों के लिए हर माह लगभग 1,000 मीट्रिक टन नदी रेत की जरूरत पड़ती है। अब स्लैग फाइंस के उपयोग से न केवल प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव कम हुआ है, बल्कि स्लैग के निपटान से जुड़ी पर्यावरणीय चुनौतियां भी नियंत्रित हुई हैं।
यह पहल टाटा स्टील की पर्यावरण संरक्षण, संसाधन प्रबंधन और संचालन दक्षता के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाती है। कंपनी के इस सर्कुलर इकॉनॉमी मॉडल से न केवल औद्योगिक विकास को नई दिशा मिलेगी, बल्कि यह ग्रीन वैकल्पिक समाधानों को भी बल देगा।