Jamshedpur : कोल्हान विश्वविद्यालय ने स्पष्ट किया है कि सीबीसीएस (CBCS) पद्धति लागू होने के बाद आयोजित सभी परीक्षाएं उस समय के प्रचलित रेगुलेशन के अनुरूप ही ली गई थीं, और उनसे संबंधित जारी किए गए अंक पत्र व प्रमाण पत्र पूरी तरह वैध हैं। विश्वविद्यालय प्रवक्ता डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि इनमें किसी भी प्रकार की वैधानिक त्रुटि नहीं है।
उन्होंने बताया कि 2017 के रेगुलेशन और 2020 के पुनरीक्षित रेगुलेशन—दोनों में जीई (GE) के लिए एक ही पेपर का प्रावधान था, और झारखंड के सभी विश्वविद्यालयों ने इसी आधार पर परीक्षाएं आयोजित की थीं। यूजीसी द्वारा जारी गाइडलाइन शैक्षणिक नियमावलियों के लिए सामान्यतः सलाह के रूप में होती है, जिसमें आवश्यकता अनुसार 20% तक संशोधन का विकल्प विश्वविद्यालयों को प्राप्त होता है। यही कारण है कि सभी विश्वविद्यालय अपने पाठ्यक्रम व परीक्षा प्रणाली को एकेडमिक काउंसिल के माध्यम से तय करते हैं।
डॉ. झा ने स्पष्ट किया कि विश्वविद्यालय से जारी डिग्रियों की वैधता इस बात पर निर्भर करती है कि वह यूजीसी से मान्यता प्राप्त संस्थान से जारी हुई है या नहीं। ऐसे में कोल्हान विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों को किसी भी प्रकार की चिंता करने की आवश्यकता नहीं है।
वर्तमान में जीई पेपर की जो विशेष परीक्षा आयोजित करने की घोषणा की गई है, वह अनिवार्य नहीं है। यह परीक्षा केवल उन विद्यार्थियों के लिए है जिन्हें किसी विशेष संस्थान या नौकरी के लिए प्रमाण पत्र संबंधी अड़चन का सामना करना पड़ रहा है। जरूरत पड़ने पर उनके प्रमाण पत्रों का सत्यापन विश्वविद्यालय द्वारा किया जाएगा।
माननीय कुलपति प्रो. (डॉ.) अंजिला गुप्ता ने निर्देश दिया है कि छात्रहित को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए। महाविद्यालय छोड़ चुके और माइग्रेशन ले चुके विद्यार्थी भी इस विशेष परीक्षा में बैठ सकते हैं, और उन्हें भी कोई समस्या नहीं होगी। विश्वविद्यालय ने 8 अगस्त को पत्रांक संख्या 1080 के माध्यम से सभी बिंदुओं पर स्थिति स्पष्ट कर दी है।