सरायकेला। राजनगर प्रखंड के छेलकानी घाट पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। NGT ने साफ निर्देश दिया है कि 10 जून से 15 अक्टूबर तक नदियों से बालू उठाव पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा, ताकि मानसून के दौरान नदी का प्राकृतिक संतुलन बना रहे। इसके बावजूद घाट पर प्रतिदिन सैकड़ों ट्रैक्टरों से बालू निकाला जा रहा है।
स्थानीय सूत्रों की मानें तो छेलकानी गांव के एक युवक और कुछ अन्य लोगों ने मिलकर घाट का सौदा सात लाख रुपये में कर लिया है। इसके तहत ट्रैक्टर चालकों से प्रति ट्रैक्टर 600 रुपये की रॉयल्टी वसूली जा रही है। अनुमान है कि इस अवैध कारोबार से बालू माफिया प्रतिदिन 60 से 70 हजार रुपये कमा रहे हैं, जबकि राज्य सरकार को राजस्व का भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है।
जानकारी यह भी सामने आई है कि माफिया प्रशासनिक कार्रवाई से बचने के लिए अपने लोगों को चौकसी में तैनात रखते हैं। जैसे ही प्रशासनिक गाड़ियों की हलचल होती है, उन्हें पहले ही खबर कर दी जाती है और अवैध खनन रोक दिया जाता है।
इधर जिला खनन पदाधिकारी लगातार छापेमारी और कार्रवाई का दावा कर रहे हैं, लेकिन मौके पर अवैध खनन का सिलसिला थम नहीं रहा। इससे स्थानीय पुलिस और अंचल अधिकारियों की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं। ग्रामीणों का आरोप है कि पुलिस की मौन सहमति से ही यह कारोबार फल-फूल रहा है।
अवैध खनन से न केवल सरकार को करोड़ों का नुकसान हो रहा है, बल्कि नदी का पारिस्थितिकीय संतुलन भी बिगड़ रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि लगातार अवैध बालू उठाव से नदी का जलस्तर घट सकता है, तटबंध कमजोर हो सकते हैं और बाढ़ का खतरा बढ़ सकता है।ग्रामीणों ने जिला प्रशासन से मांग की है कि तत्काल प्रभावी कार्रवाई कर इस अवैध खनन पर रोक लगाई जाए और दोषी अधिकारियों की जवाबदेही तय की जाए।