Jamshedpur : भारत की सांस्कृतिक विरासत में जब भी धनुष-बाण का जिक्र होता है, तब भगवान श्रीकृष्ण द्वारा अर्जुन को गीता का उपदेश देना या भगवान राम का वनवास काल में बुराई के खिलाफ युद्ध करना स्मरण हो आता है। इसी परंपरा के साथ भारत के इतिहास में धनुर्विद्या न केवल एक कला रही है, बल्कि वीरता, अनुशासन और आत्मबल का प्रतीक भी रही है।
इसी ऐतिहासिक परंपरा को नई ऊँचाई देते हुए टाटा स्टील ने आधुनिक युग में एक नया अध्याय जोड़ा है। झारखंड के लातेहार जिले की चेरो जनजाति की वीरगाथाओं से प्रेरित होकर, कंपनी ने हाल ही में शुरू हुई आर्चरी प्रीमियर लीग (APL) में झारखंड की टीम का नाम “चेेरो आर्चर्स” रखा है — यह नाम न सिर्फ गौरवशाली अतीत का सम्मान है, बल्कि आधुनिक खेल भावना का भी प्रतीक है।
लातेहार स्थित ऐतिहासिक पलामू किला आज भी उन चेरो योद्धाओं की कहानी कहता है जिन्होंने मुगलों से लेकर अंग्रेजों तक का डटकर सामना किया था। उनकी धनुर्विद्या और पराक्रम झारखंड की मिट्टी में आज भी गूंजता है।
इसी विरासत को आगे बढ़ाते हुए, टाटा आर्चरी एकेडमी (TAA), जो अक्टूबर 1996 में स्थापित की गई थी, ने तीन दशकों से भारतीय तीरंदाजी को नई दिशा दी है। यह एकेडमी झारखंड-ओडिशा क्षेत्र की प्रतिभाओं को वैज्ञानिक प्रशिक्षण, पोषण, मनोवैज्ञानिक सहयोग और आधुनिक उपकरणों के साथ तैयार कर रही है।
अब तक TAA से निकले तीरंदाजों ने एशियन गेम्स, वर्ल्ड चैंपियनशिप और ओलंपिक तक भारत का नाम रोशन किया है। इनमें 9 ओलंपियन, 3 द्रोणाचार्य पुरस्कार विजेता, 1 लाइफटाइम द्रोणाचार्य पुरस्कार प्राप्त प्रशिक्षक और 150 से अधिक अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी शामिल हैं।
हाल ही में एशियन गेम्स 2023 में TAA की प्रशिक्षु अंकिता भगत और भजन कौर ने कांस्य पदक जीतकर भारत का गौरव बढ़ाया था, वहीं अंकिता ने पेरिस ओलंपिक 2024 में सेमीफाइनल तक पहुँचकर इतिहास रचा। चेेरो आर्चर्स टीम में भारत और विदेश के कई दिग्गज खिलाड़ी शामिल हैं
डेनमार्क के वर्ल्ड नंबर-1 कंपाउंड आर्चर मैथियास फुलर्टन, भारतीय ओलंपियन तनु दास, जर्मनी की काथरीना बाउर (वर्ल्ड नं. 9, रिकर्व), भारत की प्रतिभाशाली खिलाड़ी राहुल, पृथिका प्रदीप, मदाला हंसीनी, साहिल राजेश और कुमकुम मोहोड इस टीम का हिस्सा हैं।
APL में चेेरो आर्चर्स का मुकाबला पृथ्वीराज योद्धा, काकातीय नाइट्स, माईटी मराठा, राजपूताना रॉयल्स और चोल चीफ्स जैसी दमदार टीमों से होगा। यह प्रतियोगिता 2 से 12 अक्टूबर तक आयोजित की जा रही है।
यह आयोजन न सिर्फ एक खेल प्रतियोगिता है, बल्कि एक सांस्कृतिक उत्सव भी है — जहाँ झारखंड की धरती एक बार फिर तीरंदाजी के माध्यम से अपनी वीर परंपरा और आधुनिक खेल उत्कृष्टता का संगम देखेगी।