शरीयत बनाम संविधान विवाद गरमाया, भाजपा उतरेगी सड़क पर
Jamshedpur:झारखंड के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हफीजुल हसन अंसारी द्वारा दिए गए ‘शरीयत संविधान से ऊपर है’ बयान पर सियासी बवाल तेज हो गया है। इस विवादित टिप्पणी को लेकर भाजपा अब खुलकर हमलावर हो गई है। पार्टी ने इस बयान को संविधान और लोकतंत्र पर सीधा हमला बताते हुए 21 अप्रैल को जमशेदपुर में भव्य विरोध मार्च निकालने का ऐलान किया है।
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भाजपा ने कहा—संविधान सर्वोच्च, ऐसे बयान बर्दाश्त नहीं
भारतीय जनता पार्टी जमशेदपुर महानगर के जिला अध्यक्ष सुधांशु ओझा की अध्यक्षता में साकची स्थित जिला कार्यालय में एक महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें विरोध प्रदर्शन की रणनीति पर विस्तार से चर्चा हुई। ओझा ने कहा—
> “हफीजुल हसन अंसारी का बयान संविधान का घोर अपमान है और कट्टरपंथ को बढ़ावा देने वाला है। एक मंत्री जो संविधान की शपथ लेता है, वह अगर शरीयत को संविधान से ऊपर बताता है, तो यह अस्वीकार्य है। भारत शरीयत से नहीं, संविधान से चलता है।”
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भाजपा ने झामुमो-कांग्रेस गठबंधन पर भी साधा निशाना
सुधांशु ओझा ने झामुमो और कांग्रेस गठबंधन पर हमला बोलते हुए कहा कि यह बयान इस सरकार की वास्तविक सोच और मानसिकता को उजागर करता है। उन्होंने सवाल उठाया—
> “क्या ‘संविधान बचाओ’ का नारा देने वाले राहुल गांधी इस पर चुप्पी साधे रहेंगे? क्या कांग्रेस इस बयान के खिलाफ गठबंधन से समर्थन वापस लेने की हिम्मत दिखाएगी?”
साकची से उपायुक्त कार्यालय तक निकलेगा विरोध मार्च
बैठक में यह तय किया गया कि 21 अप्रैल को सुबह 10 बजे, साकची जिला कार्यालय से जिला उपायुक्त कार्यालय तक विरोध मार्च निकाला जाएगा। इस प्रदर्शन में भाजपा के वरिष्ठ नेता, हजारों कार्यकर्ता और आमजन भाग लेंगे। मार्च के बाद डीसी को ज्ञापन भी सौंपा जाएगा।
भाजपा ने जनता से की अपील: बड़ी संख्या में साकची पहुंचे
भाजपा ने सभी नागरिकों और कार्यकर्ताओं से 21 अप्रैल को साकची पहुंचने की अपील की है ताकि संविधान की रक्षा के लिए एकजुटता दिखाई जा सके।
बैठक में इन नेताओं ने की भागीदारी
बैठक में भाजपा के अनेक वरिष्ठ पदाधिकारी मौजूद रहे, जिनमें शामिल थे:
जिला उपाध्यक्ष: संजीव सिन्हा, बबुआ सिंह, रेणु शर्मा
महामंत्री: अनिल मोदी, संजीव सिंह
मंत्री: विजय तिवारी, कोषाध्यक्ष कृष्णा शर्मा काली
आईटी संयोजक: बिनोद सिंह
मोर्चा अध्यक्ष: नीतीश कुशवाहा (भाजयुमो), सागर राय (ओबीसी मोर्चा), नीलू मछुआ (महिला मोर्चा), मंजीत सिंह (अल्पसंख्यक मोर्चा), परेश मुखी (एससी मोर्चा), रमेश बास्के (एसटी मोर्चा)
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