मानसून की बारिश में घर तोड़े जाने पर विधायक प्रतिनिधि पप्पू सिंह ने जताया आक्रोश, बोले – अब होगा जन आंदोलन
जमशेदपुर : गोकुल नगर, मिर्जाडीह समेत आसपास के क्षेत्रों में वन विभाग द्वारा ईको सेंसिटिव ज़ोन के तहत चलाई जा रही बुलडोजर कार्रवाई ने एक बार फिर सत्ताधारी तंत्र की संवेदनहीनता और दोहरे मापदंडों पर सवाल खड़े कर दिए हैं। लगभग 350 से अधिक गरीब परिवारों के घरों को तोड़नेकी कार्रवाई से स्थानीय लोगों में भारी आक्रोश है।
एक तरफ़ा कार्रवाई पर सवाल, अमीरों पर खामोशी क्यों?
वन विभाग की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए स्थानीय लोगों ने कहा कि जिस क्षेत्र को “ईको सेंसिटिव ज़ोन” बताकर ग़रीबों के कच्चे–पक्के मकानों को तोड़ा जा रहा है, उसी क्षेत्र में बड़े-बड़े होटल, व्यवसायिक प्रतिष्ठान, और स्थायी कंक्रीट निर्माण भी मौजूद हैं।
लेकिन उनके खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गई। यह स्पष्ट रूप से वन विभाग की पक्षपातपूर्ण नीति और गरीब विरोधी रवैये को दर्शाता है।
मानसून में घर उजाड़ना अमानवीय – पप्पू सिंह
विधायक सरयू राय के प्रतिनिधि पप्पू सिंह ने रविवार को गोकुल नगर इलाके का दौरा कर प्रभावित परिवारों से मुलाकात की और उनकी पीड़ा को साझा किया। उन्होंने कहा मानसून की भारी बारिश के बीच घर तोड़ना अमानवीय कृत्य है। वन विभाग ने संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दी हैं। अब समय आ गया है कि जनता की आवाज़ बुलंद की जाए। हम इस अन्याय के खिलाफ जन आंदोलन छेड़ेंगे।”
पप्पू सिंह ने आगे कहा कि वन विभाग द्वारा जो कार्रवाई की जा रही है, वह केवल गरीबों के खिलाफ है, और वास्तविक इको सेंसिटिव प्लानिंग के मापदंडों को ताक पर रखकर ‘चुनिंदा तोड़फोड़’ की जा रही है।
वन विभाग की भूमिका पर उठे सवाल
स्थानीय लोगों का आरोप है कि वन विभाग ग़रीब बस्तियों में तो तोड़फोड़ करता है, लेकिन जब बात अमीर वर्ग के संरचनाओं की आती है, तो वह मूकदर्शक बन जाता है। यह स्पष्ट रूप से नीति और नीयत दोनों में खोट का परिचायक है।
जन नेता, स्थानीय प्रतिनिधि भी आए समर्थन में
इस मौके पर जदयू नेता भवानी सिंह, वीरू सिंह, वैभव सिंह, राजा शेख समेत बड़ी संख्या में बस्तीवासी उपस्थित रहे।
सभी ने एक स्वर में वन विभाग की कार्रवाई की निंदा की और आगामी दिनों में बृहद आंदोलन की चेतावनी दी।
जन आंदोलन की तैयारी, कानूनी विकल्प भी खुले
विधायक सरयू राय के नेतृत्व में इस मामले को विधानसभा और प्रशासनिक स्तर पर भी उठाया जाएगा। साथ ही, कानूनी विकल्पों की भी समीक्षा की जा रही है ताकि गरीब परिवारों को न्याय मिल सके और भविष्य में इस प्रकार की एकतरफा कार्रवाई पर रोक लग सके।