चक्रधरपुर | 16 जून 2025
रेलवे ट्रैक पर हाथियों की अप्रत्याशित आवाजाही के कारण होने वाले दुर्घटनाओं को रोकने के उद्देश्य से दक्षिण पूर्व रेलवे ने एक अहम पहल की है। बरबंबू–चक्रधरपुर–लोटापहाड़ सेक्शन में हाथी अतिक्रमण पहचान प्रणाली (Elephant Intrusion Detection System – EIDS) के प्रावधान हेतु प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट (Proof of Concept) टेस्टिंग 15 और 16 जून को की जा रही है।
इस अत्याधुनिक प्रणाली के परीक्षण की निगरानी CSTE/Projects/GRC द्वारा की जा रही है। परीक्षण में दो प्रशिक्षित हाथियों की भागीदारी के साथ यह आकलन किया जा रहा है कि तकनीक किस प्रकार रेलवे ट्रैक पर हाथियों की उपस्थिति का समय रहते पता लगाकर दुर्घटनाओं से बचाव कर सकती है।
क्या है EIDS प्रणाली?
EIDS एक विशेष तकनीकी प्रणाली है जो रेलवे ट्रैक पर हाथियों की मौजूदगी का पता लगाने में सक्षम है। इसमें अत्याधुनिक सेंसर, कैमरे और सिग्नलिंग तकनीक का प्रयोग होता है, जो हाथियों की गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है और ऑपरेटिंग कंट्रोल रूम को तुरंत अलर्ट भेजता है।
प्रकृति और सुरक्षा दोनों को प्राथमिकता
रेलवे प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यह परीक्षण न केवल पायलट प्रोजेक्ट है, बल्कि भविष्य में देशभर के हाथी कॉरिडोर में इस प्रणाली के क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम है। अधिकारियों ने बताया कि परीक्षण के दौरान जनसुरक्षा और हाथियों की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता रही है।
पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रेलवे की संकल्पबद्धता
रेलवे विभाग द्वारा हाथियों की मौत रोकने के लिए पहले भी कई पहल की गई हैं, जैसे चेतावनी संकेत, लोको पायलटों के लिए स्पीड कंट्रोल निर्देश, हाथी कॉरिडोर चिन्हित करना आदि। EIDS इन प्रयासों को तकनीकी रूप से और मजबूत बनाएगा।
आगे की योजना
यदि यह परीक्षण सफल रहता है, तो इस तकनीक को अन्य संवेदनशील क्षेत्रों में भी लागू किया जाएगा, जिससे हाथी-रेल टकराव की घटनाओं में उल्लेखनीय कमी लाई जा सकेगी। इससे न केवल वन्यजीवों की रक्षा होगी, बल्कि ट्रेनों की संचालन क्षमता और समयबद्धता भी बेहतर होगी।