जमशेदपुर में भगवान परशुराम जयंती पर भव्य प्रकट्योत्सव, संगोष्ठी में व्यक्तित्व और कर्तृत्व की प्रासंगिकता पर चर्चा



जमशेदपुर (साकची)।
अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा द्वारा भगवान विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम जी का प्रकट्योत्सव साकची स्थित शिव मंदिर सभागार में धूमधाम से मनाया गया। समारोह की अध्यक्षता विप्रश्रेष्ठ महासभा के अध्यक्ष पंडित अरुण कुमार पांडेय ने की, जिसमें बड़ी संख्या में ब्राह्मण समाज के प्रतिनिधियों की भागीदारी रही।

पूजन-अर्चन और संगोष्ठी के साथ हुई शुरुआत
कार्यक्रम की शुरुआत भगवान परशुराम के चित्र की वेदोक्त मंत्रों द्वारा पूजा और दीप प्रज्वलन से हुई। इसके बाद सभी उपस्थित विप्रजनों ने पुष्प अर्पित कर भगवान परशुराम को श्रद्धा सुमन अर्पित किए।

संगोष्ठी का विषय: “भगवान परशुराम का जीवन चरित्र वर्तमान में कितना प्रासंगिक?”
कार्यक्रम के दौरान आयोजित संगोष्ठी में वक्ताओं ने भगवान परशुराम के जीवन और उनके संदेशों की आज की सामाजिक, राष्ट्रीय और नैतिक प्रासंगिकता पर विस्तृत चर्चा की।

मुख्य वक्ताओं में रहे:
डॉ. त्रिपुरा झा, पंडित कमल किशोर (पूर्व पुलिस उपाधीक्षक), पंडित सांवरलाल शर्मा, पंडित विनोद उपाध्याय, डॉ. पवन पांडेय, पंडित डी डी त्रिपाठी, पंडित डी के मिश्रा, पंडित मुन्ना चौबे, पंडित गोपाल कृष्ण दुबे और पंडित रविशंकर तिवारी।

वक्ताओं ने कहा कि भगवान परशुराम न केवल योद्धा थे, बल्कि महान शिक्षक और तपस्वी भी थे। उनका जीवन शास्त्र और शस्त्र दोनों में संतुलन का प्रतीक रहा है। उन्होंने समाज में जब-जब धर्म पर संकट आया, अधर्म और अत्याचार के खिलाफ हथियार उठाए, परंतु उनके प्रत्येक कदम का आधार धर्म-संरक्षण और न्याय रहा।

ब्राह्मण जीवन में तप, संयम और ज्ञान की महत्ता पर बल
संगोष्ठी में यह स्पष्ट किया गया कि भगवान परशुराम का चरित्र उस समय की ही नहीं, आज के युग की भी सामाजिक स्थिरता, नैतिकता और धर्म रक्षा की प्रेरणा है। उन्होंने तप, संयम और विद्या से ही महानता अर्जित की और यही आज के ब्राह्मण समाज का मूल मंत्र होना चाहिए।

भ्रांतियों को तोड़ने का प्रयास
कुछ आम भ्रांतियों जैसे – परशुराम द्वारा अपनी माता का वध और क्षत्रियों का संहार – पर भी वक्ताओं ने स्पष्ट किया कि यह घटनाएं अधूरी जानकारी के आधार पर गलत व्याख्या का परिणाम हैं। वास्तव में, भगवान परशुराम का हर कार्य धर्म के पक्ष में और अधर्म के विरोध में था।

अध्यक्षीय संबोधन और सम्मान कार्यक्रम
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे पंडित अरुण कुमार पांडेय ने सभी अतिथियों का स्वागत अंगवस्त्र और भगवान परशुराम के चित्र भेंट कर किया और परशुराम जी के आदर्शों को आत्मसात करने का आह्वान किया।

कार्यक्रम संचालन पंडित विजय शंकर चौबे ने किया और धन्यवाद ज्ञापन पंडित कन्हैया ओझा ने किया।

उल्लेखनीय उपस्थिति:
पंडित हारेराम ओझा, डॉ. अजय किशोर चौबे, पंडित लक्ष्मी नारायण तिवारी, पंडित राकेश दुबे, पंडित जन्मेजय पांडेय, पंडित संजय तिवारी, पंडित परमहंस मिश्रा, पंडित विवेक पांडेय, पंडित चुन्नू पांडेय, पंडित सुशील तिवारी सहित कई अन्य विप्रजनों ने आयोजन की सफलता में सक्रिय योगदान दिया।

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