दीपावली पर स्थानीय उत्पादों को अपनाने की अपील – “वोकल फॉर लोकल” बनाएं जीवनशैली : मोहित सुल्तानिया

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Chaibasha : दीपावली पर्व के निकट आते ही शहर के बाजारों में रौनक लौट आई है। इसी बीच पश्चिमी सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के सह सचिव मोहित सुल्तानिया ने नागरिकों से एक संवेदनशील अपील करते हुए कहा है कि इस दीपावली पर सभी लोग स्थानीय उत्पादों को प्राथमिकता दें और “वोकल फॉर लोकल” को अपनी जीवनशैली का हिस्सा बनाएं।

श्री सुल्तानिया ने कहा कि “दीपावली की असली रौशनी तभी पूर्ण होती है, जब उसका उजाला हर घर तक पहुंचे। जब हमारे घर की सजावट किसी कुम्हार के चेहरे पर मुस्कान बन जाए, मिठाई किसी दुकानदार के घर का चूल्हा जला दे, तभी दीपावली सच में ‘दीप’ की ‘वाली’ बनती है।”

उन्होंने लोगों से चीनी झालरों के बजाय मिट्टी के दीयों को अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि “मिट्टी के दीये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं, बल्कि स्थानीय कुम्हारों की जीविका से भी जुड़े हैं। जब आप एक मिट्टी का दीया खरीदते हैं, तो आप सिर्फ दीया नहीं, एक परिवार की उम्मीद खरीदते हैं।”

सुल्तानिया ने कहा कि बड़ी ऑनलाइन कंपनियों से खरीदारी करने की प्रवृत्ति दीपावली और धनतेरस के दौरान तेजी से बढ़ जाती है, जिससे स्थानीय दुकानदारों का व्यापार प्रभावित होता है। उन्होंने कहा कि “आपका पड़ोसी दुकानदार कल आपका मददगार भी हो सकता है। इस दीपावली पर मोहल्ले की दुकानों से खरीदारी कर बाजार और रिश्तों दोनों को जीवंत बनाएं।”

उन्होंने आगे कहा कि छोटे व्यापारी, कारीगर और कामगार हमारे समाज की आर्थिक रीढ़ हैं। अब समय है कि “वोकल फॉर लोकल” केवल एक नारा नहीं, बल्कि हर व्यक्ति की सोच और जीवनशैली बन जाए। स्थानीय खरीदारी न केवल छोटे व्यवसायों को सहारा देगी बल्कि देश की अर्थव्यवस्था को भी सशक्त बनाएगी।

श्री सुल्तानिया ने कहा कि दीपावली का यह पर्व आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक छोटा लेकिन प्रभावशाली कदम साबित हो सकता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा, “हमारे घर के बगल में एक कुम्हार और एक हलवाई दोनों हैं। ईश्वर ने हमें एक-दूसरे की जिम्मेदारी समझाने के लिए ही ऐसा बनाया है। इंसानियत का सबसे बड़ा धर्म यही है कि हम एक-दूसरे के जीवन में रौशनी बनें।”

अंत में उन्होंने नागरिकों से आग्रह किया कि अपने घर की सजावट, पूजा सामग्री और मिठाइयों की खरीदारी स्थानीय दुकानदारों और कारीगरों से करें, ताकि दीपावली की रौशनी सच में हर घर तक पहुंच सके।

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