


जमशेदपुर, 3 मई 2025: झारखंड के अनुसूचित क्षेत्र में शामिल पंचायतों को नगर पंचायत में बदलने की प्रक्रिया का जमशेदपुर मुखिया संघ और करनडीह ग्राम सभा ने जोरदार विरोध किया है। इसी क्रम में संघ के प्रतिनिधियों ने प्रखंड विकास पदाधिकारी सुमित प्रकाश को मुख्यमंत्री के नाम एक ज्ञापन सौंपा। ज्ञापन सौंपने के दौरान कई पंचायतों के मुखिया, पंचायत समिति सदस्य और बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे।
मुखिया संघ के अध्यक्ष पलटन मुर्मू ने मीडिया से बातचीत में कहा कि झारखंड राज्य के आदिवासी और मूलवासी समुदायों की पारंपरिक, सांस्कृतिक और सामाजिक संरचना की रक्षा के लिए PESA Act 1996 लागू किया गया है। इसका उद्देश्य ग्राम सभा को सर्वोच्च अधिकार देकर स्थानीय शासन में जनजातीय समाज की भूमिका को मजबूत करना है।
उन्होंने कहा कि झारखंड सरकार द्वारा हाल के वर्षों में कई अनुसूचित क्षेत्रों की पंचायतों को नगर पंचायत अथवा नगर परिषद में शामिल करने की प्रक्रिया PESA कानून की मूल भावना और संविधान के अनुच्छेद 243 (M) का सीधा उल्लंघन है।
ग्राम प्रधान सालखु सोरेन ने कहा कि नगर निकाय बनने से ग्राम सभा की भूमिका समाप्त हो जाती है, जिससे जल-जंगल-जमीन पर पारंपरिक स्वशासन प्रणाली, जैसे माझी-परगना और मानकी-मुंडा व्यवस्था, पर सीधा आघात होता है। यह आदिवासी समुदाय के अस्तित्व और अधिकारों पर गंभीर खतरा बन सकता है।
इस मुद्दे पर प्रखंड विकास पदाधिकारी सुमित प्रकाश ने कहा कि फिलहाल केवल सर्वेक्षण प्रक्रिया चल रही है, जिसमें यह देखा जा रहा है कि कौन-कौन सी पंचायतें नगर पंचायत बनने की पात्रता रखती हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सर्वेक्षण के पश्चात जनसुनवाई की जाएगी और उसमें प्राप्त स्थानीय राय को सरकार तक पहुंचाया जाएगा। इसके बाद ही ग्राम सभा की बैठकें आयोजित कर अंतिम निर्णय लिया जाएगा।
मुखिया संघ ने चेतावनी दी है कि यदि जनभावनाओं की अनदेखी कर पंचायतों को नगर निकाय में शामिल किया गया, तो वे आंदोलनात्मक कदम उठाएंगे।
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