भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने एक बार फिर सख्त रुख अपनाते हुए महाराष्ट्र के अकलुज में स्थित शंकरराव मोहिते पाटिल सहकारी बैंक लिमिटेड का बैंकिंग लाइसेंस रद्द कर दिया है। यह निर्णय 11 अप्रैल 2025 से प्रभावी कर दिया गया है, जिसके तहत अब यह बैंक किसी भी प्रकार का बैंकिंग कारोबार नहीं कर सकेगा।
क्यों रद्द किया गया बैंक का लाइसेंस?
आरबीआई ने अपने आधिकारिक बयान में कहा है कि यह सहकारी बैंक न तो पर्याप्त पूंजी रखता है और न ही उसकी कमाई की संभावनाएं नजर आती हैं। बैंकिंग रेगुलेशन एक्ट 1949 के कई जरूरी प्रावधानों का यह बैंक लंबे समय से उल्लंघन कर रहा था।
RBI के अनुसार, बैंक की मौजूदा वित्तीय स्थिति इतनी कमजोर हो गई है कि वह अपने ग्राहकों की जमा राशि भी वापस करने में सक्षम नहीं है। ऐसे में बैंक को चालू रखना ग्राहकों और सार्वजनिक हित दोनों के लिए खतरे से खाली नहीं होता।
बैंकिंग गतिविधियों पर लगा पूर्ण प्रतिबंध
बैंक अब न तो कोई नया लेन-देन कर सकता है और न ही कोई नया समझौता। बैंक को तत्काल प्रभाव से सभी बैंकिंग गतिविधियां बंद करने का आदेश दे दिया गया है। इसके अलावा आरबीआई ने महाराष्ट्र सरकार के रजिस्ट्रार को भी पत्र भेजकर बैंक को समाप्त घोषित करने और एक परिसमापक (Liquidator) नियुक्त करने की सिफारिश की है।
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ग्राहकों को मिलेगी राहत, 5 लाख रुपये तक की जमा राशि होगी सुरक्षित
DICGC करेगी बीमा राशि का भुगतान
लाइसेंस रद्द होने के बावजूद, ग्राहकों को घबराने की जरूरत नहीं है। RBI ने स्पष्ट किया है कि बैंक के खाताधारकों को Deposit Insurance and Credit Guarantee Corporation (DICGC) के तहत 5 लाख रुपये तक की बीमित जमा राशि वापस मिलेगी।
आंकड़ों के अनुसार, लगभग 99.72% जमाकर्ता अपनी पूरी राशि प्राप्त करने के पात्र हैं। इसके अलावा, 31 मार्च 2025 तक DICGC पहले ही 47.89 करोड़ रुपये का भुगतान कर चुका है, जो ग्राहकों की राहत का संकेत है।
नियमों का उल्लंघन बना कार्रवाई की वजह
RBI ने यह स्पष्ट किया कि बैंक के कामकाज में भारी अनियमितताएं थीं और वह कई बार चेतावनी के बावजूद भी नियमों का पालन नहीं कर रहा था।
ऐसे मामलों में RBI का यह कदम न सिर्फ ग्राहकों की सुरक्षा के लिहाज से जरूरी है, बल्कि यह अन्य बैंकों के लिए भी एक स्पष्ट संदेश देता है कि यदि वे नियमों का पालन नहीं करेंगे तो लाइसेंस रद्द करने जैसी कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
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