Jamshedpur : झारखंड में पेसा कानून को लागू करने को लेकर राज्य सरकार की उदासीनता पर पूर्व मुख्यमंत्री एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री रघुवर दास ने तीखा हमला बोला। जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में आयोजित एक प्रेस वार्ता के दौरान उन्होंने राज्य सरकार की मंशा और कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े किए।
झामुमो सरकार टालमटोल में व्यस्त
श्री दास ने कहा कि झारखंड हाई कोर्ट ने 2024 में ही सरकार को दो महीने में पेसा कानून लागू करने का आदेश दिया था, लेकिन एक साल बीतने के बाद भी इसे कैबिनेट से मंजूरी नहीं दी गई। हाई कोर्ट ने अब राज्य के मुख्य सचिव और पंचायती राज विभाग के सचिव को अवमानना का नोटिस भी जारी किया है।
मुख्यमंत्री इतने कमजोर क्यों हैं?
पूर्व मुख्यमंत्री ने सवाल उठाया आख़िर मुख्यमंत्री किससे डर रहे हैं? क्या आदिवासी नेतृत्व केवल वोट के लिए था? जब पेसा लागू करने की बात आई तो सरकार चुप क्यों बैठी है? उन्होंने याद दिलाया कि भाजपा सरकार ने 2018 में ही सभी तैयारियां पूरी कर ली थीं, लेकिन चुनाव आचार संहिता के कारण अधिसूचना जारी नहीं हो सकी।
गांवों को मिलेगा अधिकार, अर्थव्यवस्था होगी मजबूत
रघुवर दास ने बताया कि पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभाओं को खनिज, वनोपज, तालाब, बालू घाटों आदि पर कानूनी अधिकार मिलेगा, जिससे गांवों की स्थानीय अर्थव्यवस्था सशक्त होगी। उन्होंने यह भी चेतावनी दी कि यदि नियमावली समय पर लागू नहीं हुई, तो ₹1400 करोड़ की 15वें वित्त आयोग की राशि लैप्स हो सकती है।
8 राज्यों में पेसा लागू, झारखंड अब भी पीछे
उन्होंने कहा कि देश के 10 राज्यों में पेसा लागू होना चाहिए, पर केवल ओडिशा और झारखंड अब भी पीछे हैं। ओडिशा में बीजेडी की सरकार 27 वर्षों से है, लेकिन अब तक पेसा लागू नहीं किया। झारखंड में 6 साल से आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, फिर भी कानून फाइलों में दबा है।
सांस्कृतिक और धार्मिक संरक्षण का माध्यम है पेसा
उन्होंने कहा कि पेसा कानून मांझी, परगना, पहान, मानकी-मुंडा जैसे पारंपरिक जनप्रतिनिधियों को अधिकार देता है और धर्मांतरण तथा बाहरी हस्तक्षेप पर रोक लगाने में मददगार है।
पेसा कानून को रोका विदेशी धर्म प्रचारकों ने
श्री दास ने आरोप लगाया कि विदेशी एनजीओ और धर्म प्रचारक संस्थाएं 2010-17 के बीच सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में मुकदमे कर पेसा कानून को बाधित करती रहीं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड में सिर्फ पांचवीं अनुसूची लागू होगी, छठी नहीं।
पुरानी आरक्षण नीति को फिर लागू करे सरकार
उन्होंने शेड्यूल एरिया में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 10 वर्षों तक विशेष आरक्षण को बहाल करने की मांग की। हमारी सरकार ने यह व्यवस्था शुरू की थी, लेकिन वर्तमान सरकार ने कोर्ट में खुद इसे गलत ठहरा दिया और 60-40 नीति लागू कर दी। रघुवर दास ने कहा कि अगर राज्य सरकार पेसा कानून को जल्द लागू नहीं करती है, तो भाजपा राज्यव्यापी आंदोलन छेड़ेगी।