Jamshedpur : बिष्टुपुर स्थित श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) में इस वर्ष 7 जुलाई को जीर्णोद्धार का प्रथम वार्षिकोत्सव पूरे श्रद्धा और भक्ति भाव के साथ मनाया जाएगा। इस पावन अवसर पर दिनभर विविध धार्मिक अनुष्ठानों के साथ मंदिर परिसर में आध्यात्मिक वातावरण बना रहेगा, और संध्या को भोग-प्रसाद वितरण का आयोजन किया गया है।
एक वर्ष पूर्व हुई थी प्राण-प्रतिष्ठा
ज्ञात हो कि ठीक एक वर्ष पहले 7 जुलाई 2024 को श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर के गर्भगृह में श्री लक्ष्मीनारायण जी की प्रतिमा की प्राण-प्रतिष्ठाविधिवत रूप से संपन्न हुई थी। इसी के साथ मां काली, भगवान शंकर, हनुमान जी और श्री गणेश जी की प्रतिमाओं की भी प्राण-प्रतिष्ठा की गई थी। इस दिन को अब मंदिर के जीर्णोद्धार का आधिकारिक प्रथम वार्षिक समारोह के रूप में मनाया जा रहा है।
पूरे दिन होंगे विशेष अनुष्ठान
श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर जीर्णोद्धार ट्रस्ट के संयोजक और जमशेदपुर पश्चिम के विधायक श्री सरयू राय ने जानकारी दी कि 7 जुलाई को दिनभर सभी देवी-देवताओं की पूजा अर्चना विधिपूर्वक की जाएगी।
प्रमुख धार्मिक अनुष्ठान इस प्रकार होंगे:
- मां काली की प्रतिमा के समक्ष दुर्गा सप्तशती का पाठ
- भगवान शंकर के शिवलिंग के समक्ष रुद्राभिषेक
- श्री लक्ष्मीनारायण की प्रतिमा के समक्ष श्री विष्णुसहस्त्रनाम का पाठ
- हनुमान जी की प्रतिमा के समक्ष पंचमुखी हनुमत कोटि स्तोत्र का पाठ
- श्री गणेश जी की प्रतिमा के समक्ष गणेश मंत्र एवं श्लोकों का उच्चारण
संध्या को भोग-प्रसाद वितरण
दिनभर की पूजा-अर्चना के पश्चात संध्या में भोग अर्पण और प्रसाद वितरण का आयोजन किया जाएगा। श्रद्धालुजन और भक्तगण दिनभर मंदिर परिसर में भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त कर सकते हैं।
आयोजन समिति की बैठक संपन्न
इस आयोजन को सफल बनाने के लिए मंदिर प्रबंधन समिति की एक बैठक हाल ही में संपन्न हुई, जिसकी अध्यक्षता स्वयं सरयू राय ने की। बैठक में अशोक गोयल, साकेत गौतम, असीम पाठक, मुन्ना सिंह, विनोद पांडेय, अजय तिवारी और राकेश ओझा समेत अन्य प्रमुख सदस्य उपस्थित रहे।
आस्था, सेवा और संस्कार का संगम
श्री राय ने बताया कि मंदिर केवल पूजा-अर्चना का स्थान नहीं, बल्कि समुदाय की एकता, सेवा और संस्कृति का केंद्र है। यह जीर्णोद्धार सिर्फ ईंट और पत्थरों का नहीं, बल्कि आस्था और संस्कारों का पुनर्निर्माण है।भक्तों और श्रद्धालुओं से अपील की गई है कि वे 7 जुलाई को अधिक से अधिक संख्या में मंदिर परिसर पहुंचें और इस पावन उत्सव में भाग लेकर पुण्य लाभ प्राप्त करें।