झारखंड के जननायक ढिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के निधन से अपूरणीय क्षति – अरुण सिंह राजा

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Jamshedpur : झारखंड आंदोलन के प्रणेता, आदिवासी अस्मिता के प्रतीक, झारखंड मुक्ति मोर्चा के पूर्व अध्यक्ष एवं पूर्व मुख्यमंत्री बाबा ढिशोम गुरु शिबू सोरेन जी के निधन से समस्त झारखंडवासियों में गहरा शोक है। यह न केवल एक राजनीतिक क्षति है, बल्कि झारखंड की आत्मा और संघर्ष की चेतना का युगांत भी है।

झामुमो नेता अरुण सिंह राजा ने कहा कि “बाबा शिबू सोरेन जी हम सभी के मार्गदर्शक और संघर्षों की मिसाल थे। उनका निधन मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से अत्यंत पीड़ादायक है। इस समाचार ने मेरे मन और दिल को दिशाहीन कर दिया है। हम सब शोकसंतप्त और हताश हैं।”

बाबा का इलाज दिल्ली के सर गंगा राम अस्पताल में कई दिनों से चल रहा था। वे लंबे समय से अस्वस्थ थे। उनके पुत्र एवं झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने स्वयं ट्वीट कर यह दुखद समाचार साझा करते हुए लिखा कि “आज गुरूजी हमें छोड़कर चले गए, और मैं खुद को शून्य महसूस कर रहा हूं।”

85 वर्षीय दिशोम गुरु, झारखंड अलग राज्य आंदोलन के अग्रणी जननायक रहे। उन्होंने जल, जंगल, जमीन की लड़ाई को राष्ट्रीय मंच पर पहुंचाया और अपनी अडिग प्रतिबद्धता से झारखंड को एक अलग राज्य के रूप में स्थापित करवाया। उनका जाना, एक युग का अंत है। वह वर्तमान में राज्यसभा सांसद भी थे।

शोक की इस घड़ी में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सहित पूरा परिवार दिल्ली में उनके साथ मौजूद था।

इस दुःखद क्षण में अरुण सिंह राजा ने रामदास सोरेन जी के स्वास्थ्य को लेकर भी चिंता व्यक्त की और कहा, “हमारे आदरणीय रामदास दादा भी जीवन की जंग लड़ रहे हैं। ईश्वर उन्हें शीघ्र स्वस्थ करें।”

अंत में उन्होंने ईश्वर से प्रार्थना की — “ईश्वर बाबा शिबू सोरेन की दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करें और हम सबको यह दुःख सहन करने की शक्ति दें। यही समय हमें और एकजुट होकर उनके दिखाए मार्ग पर चलने का संदेश देता है।”

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