Jamshedpur : नेताजी सुभाष विश्वविद्यालय, जमशेदपुर के राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा सोमवार को विश्वविद्यालय के शहीद भगत सिंह ब्लॉक सभागार में “भारतीय ज्ञान परंपरा (Indian Knowledge System – IKS)” विषय पर अंतर-विभागीय क्विज प्रतियोगिता का भव्य आयोजन किया गया। प्रतियोगिता का शीर्षक था — “Quest for Wisdom: Rediscovering India’s Knowledge Heritage”, जिसका उद्देश्य भारत की प्राचीन बौद्धिक और दार्शनिक परंपराओं को समझना और समकालीन शिक्षा में उसकी पुनःस्थापना को बढ़ावा देना था।
इस प्रतियोगिता में विश्वविद्यालय के सात प्रमुख विभागों — मानविकी, सामाजिक विज्ञान, साहित्य, सूचना प्रौद्योगिकी, कला, कृषि और प्राकृतिक विज्ञान — के छात्र-छात्राओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। प्रारंभिक राउंड के बाद अर्थशास्त्र, राजनीति विज्ञान, अंग्रेज़ी और कृषि विभाग की टीमें फाइनल राउंड में पहुँचीं।
फाइनल चरण में प्रतियोगिता तीन भागों में संपन्न हुई — वस्तुनिष्ठ प्रश्न राउंड (MCQ), ऑडियो-विजुअल राउंड और रैपिड-फायर राउंड। इन सभी चरणों में उत्कृष्ट प्रदर्शन करते हुए ‘चाणक्य’ टीम (अर्थशास्त्र विभाग) ने प्रतियोगिता का विजयी खिताब अपने नाम किया। विजेता टीम के प्रतिभाशाली सदस्य थे — अनिकेत महाराणा, महागौरी सिंह, आशना खान और अरुणिमा ओझा।
मुख्य अतिथि ने दी शुभकामनाएं
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. (डॉ.) प्रभात कुमार पाणि थे। उन्होंने विजेताओं को ट्रॉफी एवं पुरस्कार प्रदान किए और अपने संबोधन में भारतीय ज्ञान परंपरा की समसामयिक शिक्षा में प्रासंगिकता पर प्रकाश डाला। कुलपति ने राजनीति विज्ञान विभाग द्वारा किए गए इस पहल की सराहना करते हुए कहा, “ऐसे आयोजन न केवल छात्रों के बौद्धिक विकास को प्रोत्साहित करते हैं, बल्कि भारतीय सभ्यतागत मूल्यों को भी जीवित रखते हैं।”
राजनीति विज्ञान विभाग की सराहनीय पहल
राजनीति विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. मनीष रंजन ने भारतीय ज्ञान परंपरा को आधुनिक शिक्षा से जोड़ने की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा, “छात्रों में प्राचीन भारत के वैज्ञानिक, दार्शनिक और सांस्कृतिक ज्ञान को पुनःस्थापित करने की दिशा में यह प्रयास महत्वपूर्ण है।”
इस आयोजन को सफल बनाने में विभागीय शिक्षकों, छात्र स्वयंसेवकों एवं समन्वयकों की भूमिका उल्लेखनीय रही। सभी फाइनलिस्ट प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।
समापन एवं संकल्प
कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें विश्वविद्यालय ने भारतीय सभ्यतागत विरासत के संरक्षण और पुनरुत्थान के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई।