रांची। झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सोमवार को ईचागढ़ क्षेत्र में लगातार बढ़ते जंगली हाथियों के आतंक का मुद्दा गूंजा। ईचागढ़ की विधायक सविता महतो ने तारांकित प्रश्न के माध्यम से सदन में कहा कि विधानसभा क्षेत्र के सभी प्रखंड हाथियों के आतंक से त्रस्त हैं।
उन्होंने बताया कि आए दिन हाथियों के हमले से घर-मकान, फसल और जान-माल की क्षति हो रही है।
विधायक ने सवाल उठाया कि क्या यह सही है कि चांडिल डैम निर्माण से विस्थापित डूब क्षेत्र में हाथियों के हमले की घटनाओं में अत्यधिक वृद्धि हुई है और बावजूद इसके पीड़ित ग्रामीणों को मुआवजा नहीं मिल रहा है?
सरकार ने स्वीकार किया कि
चांडिल एवं ईचा डैम डूब क्षेत्र को आरक्षित वन क्षेत्र अधिसूचित किया गया है।
फिलहाल मुआवजा बढ़ाने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है।
वर्ष 2023 में मुआवजे की राशि में संशोधन किया गया था और उसी के आधार पर भुगतान हो रहा है।
जंगली हाथियों से निपटने के लिए उठाए गए कदम
सरायकेला वन प्रमंडल की ओर से सरकार ने सदन में बताया कि –
1. त्वरित कार्यदल (QRT) टीम गठित की गई है, जो हाथियों को प्रवास स्थल की ओर भगाने और ग्रामीणों को जागरूक करने का कार्य करती है।
2. चार वॉच टावर (रामगढ़, कुरली, पालना और पीलीद) बनाए गए हैं, जहां से हाथियों की गतिविधियों पर नजर रखी जाती है।
3. एफएम रेडियो के माध्यम से ग्रामीणों को सतर्क किया जाता है।
विधायक सविता महतो ने कहा कि सरकार को चाहिए कि वह जल्द से जल्द ईचागढ़ क्षेत्र के पीड़ित ग्रामीणों को मुआवजा दिलाने के साथ-साथ हाथियों के आतंक से स्थायी निजात दिलाने की दिशा में ठोस कदम उठाए।
