Greater Jamshedpur : ग्रेटर जमशेदपुर के रास्ते आसान नहीं, योजना को लेकर नया विवाद खड़ा

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Jamshedpur : जमशेदपुर महानगर के विस्तार की योजना को लेकर नया विवाद खड़ा हो गया है। सरकार द्वारा प्रस्तावित ग्रेटर जमशेदपुर नगर परिषद के गठन के प्रयासों का जमकर विरोध हो रहा है। विशेषकर शहर से सटे पंचायत क्षेत्रों के जनप्रतिनिधि और सामाजिक संगठनों ने इस प्रस्ताव को पेसा कानून 1996 का उल्लंघन बताया है।



आदिवासी सुरक्षा परिषद जमशेदपुर महानगर के अध्यक्ष राम सिंह मुंडा ने स्पष्ट कहा कि पंचायतों को नगर परिषद में शामिल करने से अनुसूचित क्षेत्रों में “मुखिया पद” की वैधानिक संरचना पर खतरा मंडराएगा, जो कि संविधान द्वारा अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित है।



राम सिंह मुंडा ने क्या कहा:

> “पंचायत प्रणाली की स्वायत्तता खत्म हो जाएगी। शहर के आसपास के ग्रामीण पहले ही जुगसलाई नगर परिषद की खामियों को देख चुके हैं — न तो विकास हुआ, न ही पारदर्शिता रही। नगर परिषद अब ‘नरक परिषद’ बन चुकी है। होल्डिंग टैक्स और एनओसी जैसी शर्तों से ग्रामीणों पर अनावश्यक बोझ डाला जाएगा।” उन्होंने सुझाव दिया कि यदि सरकार वाकई इन क्षेत्रों का विकास चाहती है, तो विशेष फंड के माध्यम से पंचायती व्यवस्था को सशक्त बनाया जा सकता है, बजाय उन्हें नगर परिषद में समाहित करने के।



नगर परिषद में शामिल करने की प्रक्रिया:
राज्य सरकार आमतौर पर निम्नलिखित विधायी प्रक्रिया अपनाती है:

1. एक प्रस्ताव तैयार करना


2. विधानसभा में उसे पेश कर पारित करना


3. आवश्यकता पड़ने पर विशेष विधेयक लाना





पेसा कानून का उल्लंघन?
आदिवासी सुरक्षा परिषद ने यह भी स्पष्ट किया है कि पेसा कानून 1996, जो अनुसूचित क्षेत्रों में ग्राम सभा को विशेष अधिकार देता है, ऐसे प्रस्तावों से निष्क्रिय हो जाएगा। परिषद झारखंड के सभी अनुसूचित क्षेत्रों में इस कानून के प्रभावी क्रियान्वयन की मांग कर रही है।

परिषद ने ऐलान किया है कि वह ग्रेटर जमशेदपुर नगर परिषद के गठन के खिलाफ जनमत तैयार करेगी और आंदोलन छेड़ेगी।

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