Seraikela : सरायकेला-खरसावां जिले में बीते कुछ दिनों से हो रही मूसलाधार बारिश ने जहां एक ओर मौसम में ठंडक घोल दी है, वहीं दूसरी ओर किसानों के लिए यह बारिश आफत बनकर आई है। जिले के नदी किनारे बसे ग्रामीण इलाकों में सब्जी की खेती पूरी तरह जलमग्न हो गई है। खेतों में दो फीट से अधिक पानी जमा हो चुका है, जिससे खीरा, परवल, कुंदरू, बैगन, कद्दू, टमाटर और अन्य हरी सब्जियों की फसलें नष्ट होने की कगार पर हैं।
किसान बेहाल, आय का स्रोत खत्म
लगातार बारिश और खेतों में पानी भरने से किसानों की आय का स्रोत ठप पड़ गया है। ग्रामीणों को अब रोज़मर्रा की जरूरतें पूरी करने में भी दिक्कतें आने लगी हैं। खेत की फसलें बर्बाद होने से उनके सामने खाने के भी लाले पड़ गए हैं।
बीमारियों का खतरा बढ़ा
बारिश के चलते कीचड़ और गंदगी फैलने से कई ग्रामीणों में डायरिया और अन्य जलजनित बीमारियों के लक्षण दिखने लगे हैं। स्वास्थ्य विभाग में चिकित्सकों की कमी और पैसे के अभाव के कारण ग्रामीण भगवान भरोसे इलाज कर रहे हैं।
उपायुक्त का बयान, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और
जिले के उपायुक्त नीतीश कुमार सिंह ने एक बयान में कहा कि “समय पर बारिश से किसानों को लाभ होगा और अच्छी फसल की उम्मीद है।” लेकिन बाजार में सब्जियों की आसमान छूती कीमतें प्रशासन के दावे पर सवाल खड़ा कर रही हैं।
सब्जियों की कीमतें आम आदमी के बजट से बाहर
टमाटर – ₹80/किलो
परवल – ₹80/किलो
भिंडी – ₹80/किलो
ओल – ₹100/किलो
लौकी – ₹40/किलो
बरबटी – ₹80/किलो
इन बढ़ी हुई दरों से शहरवासियों को भी महंगाई की मार झेलनी पड़ रही है। यदि प्रशासन ने समय रहते राहत कार्य शुरू नहीं किए, तो आने वाले समय में ग्रामीण क्षेत्रों में भुखमरी और शहरी क्षेत्र में महंगाई से हाहाकार जैसी स्थिति उत्पन्न हो सकती है।