गोड़ाडीह के बेटे सायरस कुमार दत्ता ने बढ़ाया झारखंड का मान, जापान के लिए रवाना, विज्ञान मॉडल ने दिलाई अंतरराष्ट्रीय पहचान

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जमशेदपुर, 13 जून 2025: संसाधनों की कमी और ग्रामीण पृष्ठभूमि कभी भी किसी के सपनों की उड़ान में बाधा नहीं बन सकती — अगर साथ हो मेहनत, संकल्प और मार्गदर्शन का। ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है जमशेदपुर के सुंदरनगर के समीपवर्ती गोड़ाडीह गांव के निवासी और पीएम श्री उत्क्रमित उच्च विद्यालय, खुकड़ाडीह के छात्र सायरस कुमार दत्ता की। विज्ञान शिक्षिका कल्पना भगत के मार्गदर्शन में सायरस द्वारा तैयार किया गया विज्ञान मॉडल खिड़की सीढ़ी इमरजेंसी एस्केप लैडर ने न सिर्फ भारत सरकार के प्रतिष्ठित इंस्पायर मानक अवार्ड में उन्हें राज्य का प्रतिनिधित्व करने का अवसर दिलाया, बल्कि अब यह मॉडल उन्हें जापान की अंतरराष्ट्रीय यात्रा तक भी ले गया है।

सकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम में झारखंड से इकलौते छात्र

भारत सरकार और जापान सरकार के साझा प्रयास से आयोजित सकुरा साइंस हाई स्कूल प्रोग्राम के तहत पूरे भारत से चुने गए 54 प्रतिभागी छात्रों में से सायरस झारखंड राज्य के एकमात्र छात्र हैं। 15 जून से 21 जून तक चलने वाली इस एक सप्ताह की जापान यात्रा के दौरान सायरस टोक्यो सहित कई अग्रणी वैज्ञानिक और शैक्षणिक संस्थानों का भ्रमण करेंगे। इनमें आसाकुसा सेंटर, ओमिया किता हाई स्कूल, नेशनल म्यूजियम फॉर नेचर एंड साइंस, जापान स्पेस सेंटर, मैथमैटिक्स एक्सपीरियंस प्लाज़ा, राइकेन कंप्यूटेशन सेंटर और तेपिया एडवांस टेक्नोलॉजी गैलरी प्रमुख हैं।

इस यात्रा का उद्देश्य युवा वैज्ञानिकों को वैश्विक विज्ञान परिप्रेक्ष्य, नवाचार और प्रौद्योगिकी की गहराई से जानकारी देना है। कार्यक्रम में भारत के अलावा मलेशिया, यूक्रेन और ताइवान जैसे देशों के विद्यार्थी भी भाग ले रहे हैं, जिससे अंतरराष्ट्रीय संवाद और नेटवर्किंग को बढ़ावा मिलेगा।

आपदा में मददगार होगा सायरस का विज्ञान मॉडल

सायरस द्वारा बनाया गया मॉडल “खिड़की सीढ़ी इमरजेंसी एस्केप लैडर” विशेष रूप से ऐसे भवनों में उपयोगी सिद्ध हो सकता है, जहाँ आपातकालीन स्थिति (जैसे आग लगना या भूकंप) में पारंपरिक रास्ते अवरुद्ध हो जाते हैं। यह मॉडल खिड़की से बाहर निकलने के लिए एक त्वरित और सुरक्षित सीढ़ी प्रदान करता है, जिससे समय रहते लोगों की जान बचाई जा सकती है। इस नवाचार को विज्ञान समुदाय से काफी सराहना मिली है।

सायरस ने दी सफलता की असली परिभाषा

गोड़ाडीह गांव जैसे सीमित संसाधनों वाले इलाके से निकलकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाना आसान नहीं था। सायरस के पिता प्रेमजीत कुमार दत्ता एक ऑटो चालक हैं, जिन्होंने आर्थिक अभावों के बावजूद बेटे के सपनों को संजोया और हमेशा प्रेरित किया। सायरस ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता, विज्ञान शिक्षिका कल्पना भगत, विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरुण कुमार और समस्त शिक्षकों को दिया है।

विद्यालय और गांव में जश्न का माहौल

सायरस की इस उपलब्धि से पूरे गांव और विद्यालय में उत्सव जैसा माहौल है। गुरुवार को खुकड़ाडीह स्थित विद्यालय परिसर में एक सम्मान समारोह आयोजित किया गया, जिसमें यूसिल जादूगोड़ा खान समूह के उप महाप्रबंधक एम. माहली ने सायरस को ₹25,000 का चेक भेंट कर सम्मानित किया। उन्होंने कहा, “सायरस न केवल अपने विद्यालय बल्कि पूरे इलाके के विद्यार्थियों के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि सीमाएं केवल मानसिक होती हैं।”

समारोह में सामाजिक संस्था निश्चय फाउंडेशन के प्रतिनिधि तरुण कुमार ने भी भाग लिया, जिन्होंने अपने लंदन यात्रा के अनुभव साझा करते हुए सायरस को अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में आवश्यक सावधानियों, नेटवर्किंग और सीखने की रणनीतियों के बारे में बताया।

दिल्ली तक की यात्रा के लिए जुटाया गया सहयोग

हालांकि जापान के लिए हवाई यात्रा का प्रबंध भारत सरकार द्वारा किया गया, लेकिन गांव से दिल्ली तक की यात्रा और अन्य आवश्यक तैयारियों में आर्थिक संकट सामने आया। ऐसे में विद्यालय के प्रधानाध्यापक अरुण कुमार की पहल पर शिक्षकों, विद्यालय प्रबंधन समिति और स्थानीय समाजसेवियों ने मिलकर सायरस के लिए आर्थिक सहयोग जुटाया।

समाज को दिया संदेश

सायरस की यह यात्रा एक संदेश देती है कि प्रतिभा और जुनून को अगर सही समय पर प्रोत्साहन और दिशा मिल जाए, तो किसी भी परिस्थिति को बदला जा सकता है। यह यात्रा सिर्फ सायरस के लिए नहीं, बल्कि पूरे झारखंड और भारत के ग्रामीण छात्रों के लिए एक नई आशा और प्रेरणा बनकर उभरी है।

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