दुर्घटना में घायल युवक का TMH में निधन, पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी की पहल पर ₹1,01,657 का अस्पताल बिल हुआ माफ

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घाटशिला।
पूर्वी सिंहभूम जिले के मुसाबनी क्षेत्र में एक दुर्भाग्यपूर्ण सड़क दुर्घटना में घायल हुए युवक कृष्णा गुप्ता की मौत हो गई। मृतक की पहचान मुसाबनी 3 नंबर एरिया निवासी कृष्णा गुप्ता (उम्र 24 वर्ष), पिता श्री संजय कुमार गुप्ता के रूप में हुई है। वह कुछ दिन पहले बुरूडीह डैम से जन्मदिन मनाकर लौटते वक्त सड़क दुर्घटना के शिकार हो गए थे और गंभीर रूप से घायल अवस्था में उन्हें टाटा मेन हॉस्पिटल (TMH), जमशेदपुर में भर्ती कराया गया था। उपचार के दौरान उनकी मौत हो गई।

अस्पताल का भारी बिल बना आर्थिक संकट

कृष्णा गुप्ता के इलाज के उपरांत अस्पताल द्वारा ₹1,01,657 का बिल परिजनों के समक्ष प्रस्तुत किया गया, जो मध्यमवर्गीय परिवार के लिए एक गंभीर आर्थिक संकट बनकर सामने आया। परिवार इस गहरे दुख के साथ-साथ आर्थिक बोझ से भी जूझ रहा था।

प्रधान सोरेन के माध्यम से पहुँची गुहार

इस पीड़ादायक परिस्थिति की जानकारी मिलने पर झामुमो मुसाबनी प्रखंड अध्यक्ष प्रधान सोरेन ने तत्काल झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता एवं पूर्व विधायक श्री कुणाल षाड़ंगी को सूचित किया। उन्होंने आग्रह किया कि पीड़ित परिवार को राहत दिलाने हेतु शीघ्र पहल की जाए।

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने दिखाई संवेदनशीलता

पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी ने मामले को गंभीरता से लेते हुए मानवीय आधार पर TMH प्रबंधन से सीधे संपर्क किया और अस्पताल प्रशासन से बिल माफ करने की अपील की। उन्होंने अस्पताल को यह अवगत कराया कि परिवार अत्यंत दुखी और आर्थिक रूप से असहाय है तथा इस परिस्थिति में सहयोग की सख्त आवश्यकता है।उनके प्रभावी हस्तक्षेप और प्रयासों के फलस्वरूप अस्पताल प्रबंधन ने सम्पूर्ण ₹1,01,657 का बिल माफ कर दिया, जिससे मृतक के परिवार को बड़ी राहत मिली।

परिजनों ने जताया आभार

मृतक कृष्णा गुप्ता के परिजनों ने पूर्व विधायक कुणाल षाड़ंगी का हृदय से आभार प्रकट किया। उन्होंने कहा कि इस कठिन समय में श्री षाड़ंगी का सहयोग उनके लिए उम्मीद की एक किरण साबित हुआ। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे जनप्रतिनिधि समाज के लिए प्रेरणा हैं, जो न केवल राजनीतिक बल्कि मानवीय संवेदनाओं के साथ आम जनता के बीच खड़े होते हैं।

शोक की लहर, समाज में सराहना

इस घटना से मुसाबनी क्षेत्र में शोक की लहर है। वहीं, श्री कुणाल षाड़ंगी की इस पहल की समाज के विभिन्न वर्गों द्वारा सराहना की जा रही है। यह एक उदाहरण है कि जब संवेदनशील नेता आम नागरिकों के दुःख-दर्द में सहभागी बनते हैं, तो प्रशासनिक जटिलताएं भी आसान हो जाती हैं।