जमशेदपुर: हाल ही में कंट्रोल ऑर्डर से नौशाद अहमद को हटाकर बिरराजपुर के अमित कुमार चौधरी को टाटानगर पार्सल का नया CPS बना दिया गया। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर बिना रेगुलर आदेश के बार-बार संवेदनशील पदों पर तबादले क्यों किए जा रहे हैं?
चक्रधरपुर रेलमंडल का पार्सल कार्यालय एक बार फिर विवादों में है। सीबीआई जांच की आहट और लगातार तबादलों ने रेल महकमे में हलचल मचा दी है। आठ माह के भीतर एक बार फिर टाटानगर पार्सल इंचार्ज बदले जाने से रेलवे कर्मचारियों में नाराजगी है।
रेलवे कर्मियों का आरोप है कि सीनियर DCM आदित्य चौधरी के कार्यकाल में लगातार “कंट्रोल ऑर्डर” के जरिए पसंद-नापसंद के आधार पर पोस्टिंग की जा रही है। इससे नियम-कायदों और रेलवे बोर्ड व CVC की गाइडलाइन पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
कर्मचारियों का कहना है कि अल्पसंख्यक समुदाय से आने वाले नौशाद अहमद को बार-बार “बलि का बकरा” बनाया गया। पिछले दो साल में उन्हें पार्सल और CFO की जिम्मेदारी से कई बार हटाया और दोबारा बैठाया गया। वहीं दशकों से टाटानगर में पदस्थापित रहे अमित कुमार चौधरी को फिर से संवेदनशील पद पर लाना चर्चाओं को हवा दे रहा है।
रेलवे बोर्ड की गाइडलाइन है कि संवेदनशील पदों पर तीन साल से ज्यादा किसी को नहीं रखा जाएगा। मगर टाटा, सीकेपी, राउरकेला और झारसुगुड़ा पार्सल में ऐसे कई कर्मचारी हैं जो वर्षों से जमे हुए हैं। इसके बावजूद SER का जोनल विजिलेंस विभाग कार्रवाई करने में नाकाम नजर आ रहा है।
उठते सवाल:
संवेदनशील पदों पर तबादला नियम क्या सिर्फ चुनिंदा कर्मचारियों पर ही लागू होता है?
आदेश जारी होने के महीनों बाद भी कई कर्मचारियों को रिलीज क्यों नहीं किया जाता?
बार-बार कंट्रोल ऑर्डर से ही क्यों हो रही है पोस्टिंग?
क्या विजिलेंस और रेलवे बोर्ड इन अनियमितताओं से आंख मूंदे हुए हैं?
रेलवे कर्मचारियों का मानना है कि जब तक पारदर्शी तबादला नीति लागू नहीं होगी, पार्सल कार्यालय में भ्रष्टाचार और गुटबाजी पर रोक लगाना मुश्किल है। अब सबकी निगाहें जोनल विजिलेंस पर टिकी हैं कि वह इन सवालों का जवाब कब और कैसे देता है।