Jamshedpur : झारखंड के 64 अंगीभूत महाविद्यालयों में इंटरमीडिएट (बारहवीं) कक्षा में नामांकन को लेकर गहराए असमंजस ने न केवल लगभग 50 हजार छात्रों की पढ़ाई को रोक दिया है, बल्कि सैकड़ों शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मचारियों के रोजगार पर भी संकट खड़ा कर दिया है।
झारखंड अंगीभूत महाविद्यालय इंटरमीडिएट शिक्षक संघ के प्रदेश महासचिव डॉ. राकेश कुमार पाण्डेय ने राज्य सरकार पर इस मुद्दे पर ढुलमुल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि शिक्षा विभाग की अस्पष्ट नीति के कारण छात्र “न घर के रहे, न घाट के” की स्थिति में हैं।
उन्होंने कहा कि एक ओर अंगीभूत महाविद्यालयों में इंटर नामांकन की प्रक्रिया शुरू नहीं हुई है, वहीं दूसरी ओर अन्य +2 विद्यालयों में भी छात्रों के लिफ्टिंग का कोई आदेश नहीं जारी किया गया है।
डॉ. पाण्डेय ने सबसे गंभीर संकट उन सैकड़ों शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों की स्थिति को बताया, जो बीते 15 वर्षों से सेवा दे रहे थे और अब अचानक बेरोजगारी का सामना कर रहे हैं। उन्होंने सरकार से आग्रह किया कि इन्हें सरकार द्वारा अपग्रेड किए गए +2 विद्यालयों में अनुबंध आधारित सेवा में पुनः नियोजित किया जाए।
“इससे न केवल इन कर्मियों का रोजगार सुरक्षित होगा, बल्कि नामांकन लेने वाले हजारों छात्रों को भी गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी,” उन्होंने कहा।
प्रदेश महासचिव ने यह भी कहा कि वर्तमान में राज्य के अधिकांश +2 स्कूलों में पर्याप्त शिक्षक और कर्मचारी नहीं हैं। ऐसे में छात्रों को वहां स्थानांतरित करने पर उनकी पढ़ाई बाधित होगी।
उन्होंने राज्य के स्कूली शिक्षा मंत्री, शिक्षा सचिव और माध्यमिक शिक्षा निदेशक से तत्काल बैठक कर इस समस्या का समाधान निकालने की अपील की।
डॉ. पाण्डेय ने स्पष्ट किया कि यदि शीघ्र ठोस निर्णय नहीं लिया गया, तो वे संघ की ओर से प्रतिनिधिमंडल के साथ सक्षम अधिकारियों से मिलकर छात्रों और कर्मियों दोनों के हित में ठोस समाधान की दिशा में पहल करेंगे।