रोजो पर्व के अवसर पर धातकीडीह गांव में ‘पीरियड एंड साइंस’ कार्यशाला का आयोजन, रजस्वला और माहवारी से जुड़ी मान्यताओं पर खुली चर्चा

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Jamshedpur :  झारखंड और ओडिशा के ग्रामीण क्षेत्रों में पारंपरिक रोजो पर्व के अवसर पर जहां प्रकृति और स्त्री शक्ति के सम्मान में पर्व मनाया जा रहा है, वहीं धातकीडीह गांव में इस मौके पर सामाजिक जागरूकता से जुड़ी एक अनूठी पहल की गई। गांव की किशोरियों और महिला स्वयंसेवकों के नेतृत्व में ‘पीरियड एंड साइंस’ कार्यशाला का आयोजन किया गया, जिसमें माहवारी, उससे जुड़ी सामाजिक मान्यताएं और वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर खुलकर चर्चा की गई।

कार्यक्रम की शुरुआत पीपल वृक्ष की छांव में हुई, जहां ग्रामीण महिलाएं व किशोरियाँ बड़ी संख्या में उपस्थित रहीं। चर्चा के दौरान यह बात सामने आई कि गांव में पिछले दो वर्षों से रीयूजेबल पैड के इस्तेमाल ने महिलाओं के जीवन को सरल बना दिया है। अब महिलाओं को हर माह सैनिटरी नैपकिन पर खर्च नहीं करना पड़ता, और उपयोग किए गए पैड के निपटान की समस्या से भी राहत मिली है।



कार्यक्रम में ‘प्रोजेक्ट बाला’ के तहत सभी महिलाओं को रीयूजेबल पैड भेंट किए गए। इसके साथ ही, गांव की नई महिलाओं को भी इस अभियान से जोड़ने का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम की अहम विशेषता यह रही कि इसमें सिर्फ स्वास्थ्य ही नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव, महिला शिक्षा और वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने पर जोर दिया गया।



इस अवसर पर निश्चय फाउंडेशन के संस्थापक और झारखंड के पैडमैन कहे जाने वाले तरुण कुमार, विद्यालय के प्राचार्य साजिद अहमद, स्वास्थ्य सहिया गुरुवारी सोरेन, जल सहिया सोनामुनी मुर्मू, शिक्षिका सींगों सोरेन, मौमिता मुर्मू, बासी हांसदा, संजना, किरण, फुलमनी, सुष्मिता समेत कई लोगों ने अपने विचार साझा किए।

बताते चलें कि निश्चय फाउंडेशन ने पिछले दो महीनों में कोल्हान प्रमंडल के 95 से अधिक गांवों और विद्यालयों में माहवारी स्वच्छता अभियान चलाया है, जिसके तहत लगभग 5100 महिलाओं और किशोरियों को जागरूक किया गया है। यह अभियान ट्राइबल पैडमैन बैद्यनाथ हांसदा, पूजा हेंब्रम, मालती सुंडी, पूजा महतो, कान्हु मुर्मू सहित कई स्थानीय स्वयंसेवकों के सहयोग से चलाया जा रहा है।

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