माफियाओं और प्रशासनिक उदासीनता के बीच पिस रही बुजुर्ग महिला – क्या मिलेगा न्याय…?

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Seraikela : चांडिल अनुमंडल क्षेत्र अंतर्गत झाबरी पंचायत के जांता गांव की बुजुर्ग महिला सुमित्रा लायक बीते कई वर्षों से अपनी वैध जमीन पर कब्जे की लड़ाई लड़ रही हैं, लेकिन आज तक उन्हें न्याय नहीं मिल सका है। कड़ी मेहनत और जीवन भर की जमा-पूंजी से खरीदी गई जमीन आज भू-माफियाओं और प्रशासनिक लापरवाही की भेंट चढ़ चुकी है।

कागज़ात मौजूद, फिर भी नहीं मिला हक़

सुमित्रा लायक के अनुसार उनके पास खाता संख्या-1, प्लॉट संख्या-13 और 23 के तहत कुल 97 डिसमिल जमीन का वैध दस्तावेज मौजूद है, जिसमें से 66 डिसमिल जमीन उनके पिता कमल सिंह द्वारा वर्ष 2005 में खरीदी गई थी। इसके बावजूद वे अब तक दखलनामा प्राप्त नहीं कर सकी हैं।

अवैध कब्जा और निर्माण का आरोप

उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनकी जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया है और अवैध निर्माण कार्य भी कर रहे हैं। वर्ष 2018 में उपायुक्त के निर्देश पर मापी भी कराई गई, लेकिन इसके बाद भी कोई निर्णायक कदम नहीं उठाया गया।

रिश्तेदारों को बचा रहे अधिकारी?

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जब अनुमंडल पदाधिकारी के आदेश पर सीआई मनोज महतो जांच के लिए पहुंचे, तो यह सामने आया कि कथित अवैध कब्जाधारी उनके रिश्तेदार हैं। सुमित्रा लायक ने आरोप लगाया कि सीआई ने न सिर्फ पक्षपात किया, बल्कि अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए यहां तक कहा – “बिना पैसा के जमीन का काम नहीं होता।”

न्याय की गुहार – क्या कोई सुनेगा?

सुमित्रा लायक अब तक चांडिल अंचल कार्यालय से लेकर उपायुक्त तक गुहार लगा चुकी हैं, लेकिन कार्रवाई की रफ्तार बेहद धीमी है। उन्होंने प्रशासन से भावुक अपील करते हुए कहा –
“सरकार से बस यही उम्मीद है कि मेरी जमीन मुझे मिले, ताकि मैं अपने जीवन के शेष दिन सम्मान के साथ जी सकूं।”

अब सवाल यह है – क्या प्रशासन एक वृद्ध महिला को न्याय दिलाने का साहसिक निर्णय ले पाएगा? या फिर यह मामला भी फाइलों में गुम होकर भ्रष्टाचार की नई मिसाल बन जाएगा?

यह विवाद सिर्फ एक महिला की ज़मीन का नहीं, बल्कि व्यवस्था पर जनता के विश्वास की परीक्षा है।

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