भूखंड की कमी से उद्यमियों का मोहभंग, ओडिशा बना नया औद्योगिक गंतव्य

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Jamshedpur : एशिया का सबसे बड़ा लघु औद्योगिक क्षेत्र कहलाने वाला आदित्यपुर अब गंभीर चुनौतियों से जूझ रहा है। भूखंडों की भारी किल्लत, ऊंची जमीन की कीमतें और प्रशासनिक जटिलताएं अब इस ऐतिहासिक औद्योगिक क्षेत्र की चमक को फीका कर रही हैं। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, 50 से अधिक औद्योगिक इकाइयां अब ओडिशा का रुख कर रही हैं।

ओडिशा में संभावनाओं की तलाश

जानकारी के अनुसार, झारखंड के उद्यमी अब ओडिशा के रायरंगपुर और तिरींग जैसे क्षेत्रों में अपने कारखानों के विस्तार की योजना बना रहे हैं। अनुमानित तौर पर, इस बदलाव से ओडिशा में 300 से 400 करोड़ रुपये की पूंजी निवेश की संभावना जताई जा रही है। रायरंगपुर में 80 एकड़ भूमि पर ओडिशा सरकार ने आधारभूत ढांचा तैयार किया है, जहां जमीन की कीमत प्रति एकड़ 15 से 27 लाख रुपये के बीच है, जो आदित्यपुर की तुलना में बेहद सस्ती है।


लोकेशन की बढ़ती अहमियत

रायरंगपुर औद्योगिक क्षेत्र जमशेदपुर से मात्र 75 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिससे टाटा मोटर्स जैसे बड़े उद्योगों तक आसान कनेक्टिविटी संभव है। वहीं, तिरींग औद्योगिक क्षेत्र लगभग 100 एकड़ में फैला है और जमशेदपुर से सिर्फ 28 किलोमीटर दूर है। ऐसे में उद्यमियों के लिए ये स्थान अधिक सुलभ और लाभकारी साबित हो रहे हैं।



आदित्यपुर में जमीन की कमी और कीमतें बनीं बाधा

स्थानीय उद्यमियों का कहना है कि आदित्यपुर में अब नए भूखंड मिलना लगभग नामुमकिन हो गया है। निजी जमीन खरीद में कानूनी विवाद और प्रशासनिक अड़चनों का सामना करना पड़ता है। वहीं जियाडा की नीलामी में जमीन की कीमतें 4 से 5 करोड़ रुपये प्रति एकड़ तक पहुंच चुकी हैं, जो छोटे और मध्यम उद्योगों के लिए बड़ा रोड़ा बन रही हैं।



राज्य सरकार की उदासीनता पर चिंता

उद्यमियों का आरोप है कि झारखंड सरकार और औद्योगिक विकास प्राधिकरणों ने अब तक जमीन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया है। इससे हताश होकर कई उद्योगपति ओडिशा जैसे राज्यों की ओर पलायन की योजना बना रहे हैं। यदि राज्य सरकार समय रहते हस्तक्षेप नहीं करती, तो यह झारखंड की औद्योगिक पूंजी, रोजगार और प्रतिभा के लिए बड़ा नुकसान साबित हो सकता है।।

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