Jamshedpur: श्री श्री विजय बजरंग मंदिर जंबू अखाड़ा समिति द्वारा इस वर्ष भी रामनवमी महोत्सव 2025 का आयोजन पूरी भव्यता और हर्षोल्लास के साथ किया जाएगा। यह आयोजन 30 मार्च से 7 अप्रैल तक चलेगा, जिसमें विभिन्न धार्मिक और सांस्कृतिक अनुष्ठान होंगे।
कार्यक्रम की मुख्य झलकियां
भव्य कलश यात्रा और शोभायात्रा – 3 अप्रैल को महाषष्ठी के अवसर पर निकलेगी।
अखंड हरि राम नाम संकीर्तन – 30 मार्च से 1 अप्रैल तक, 48 घंटे निरंतर।
संपूर्ण रामायण पाठ – 1 अप्रैल से 2 अप्रैल तक।
अखाड़ा करतब – प्रशिक्षित बच्चों द्वारा विशेष प्रदर्शन।
सांस्कृतिक कार्यक्रम – देशभर से आए कलाकारों द्वारा भजन संध्या।
विसर्जन जुलूस – विजयादशमी के अवसर पर भव्य शोभायात्रा।
विशेष सजावट और आतिशबाजी – मंदिर परिसर में आकर्षक झांकियां, विधुत सज्जा और आतिशबाजी।
भव्य कलश यात्रा – 3 अप्रैल का मुख्य आकर्षण
महाषष्ठी के पावन अवसर पर 3 अप्रैल को भव्य कलश यात्रा निकाली जाएगी। यह यात्रा जंबू अखाड़ा से शुरू होकर स्वर्णरेखा नदी के घाट तक जाएगी और विभिन्न प्रमुख स्थलों से होकर लौटेगी। इस दौरान हरियाणा की अमित एंड ग्रुप, जमशेदपुर के कलाकार, अघोरी नृत्य, बाहुबली हनुमान की झलक, राम दरबार और भगवान जगन्नाथ की झांकी श्रद्धालुओं को आकर्षित करेगी।
भजन संध्या और सांस्कृतिक कार्यक्रम
4 से 6 अप्रैल तक भव्य भजन संध्या का आयोजन होगा:
4 अप्रैल – कोलकाता की सुप्रसिद्ध भजन गायिका रानी रंजन।
5 अप्रैल – धनबाद के भजन गायक पिंटू शर्मा।
6 अप्रैल – जमशेदपुर के लोकप्रिय गायक कृष्णमूर्ति।
श्रद्धालुओं के लिए विशेष सुविधाएं
राम भक्तों की सुविधा के लिए आयोजन समिति द्वारा विशेष इंतजाम किए गए हैं:
महाप्रसाद का वितरण प्रतिदिन।
शुद्ध पेयजल और चिकित्सा किट की उपलब्धता।
सुरक्षा के लिए सीसीटीवी कैमरे और 150 स्वयंसेवकों की तैनाती।
विशेष सजावट – भगवान जगन्नाथ का रथ, केदारनाथ प्रतिकृति और 150 फीट का सीलिंग लाइट।
भव्य विसर्जन जुलूस – विजयादशमी पर
रामनवमी महोत्सव का समापन विजयादशमी के अवसर पर विशाल विसर्जन जुलूस के साथ होगा। इस दौरान रामलीला की झांकियां, अखाड़ा करतब, आकर्षक आतिशबाजी और पांच सेट बाजा शामिल होंगे।
आमंत्रण – राम भक्तों के लिए सुनहरा अवसर
श्री श्री विजय बजरंग मंदिर जंबू अखाड़ा समिति सभी धर्मप्रेमी श्रद्धालुओं से इस पावन महोत्सव में शामिल होकर पुण्य लाभ अर्जित करने का आह्वान करती है। यह आयोजन केवल आस्था का नहीं, बल्कि संस्कृति, परंपरा और सामाजिक एकता का संगम होगा।
