निदेशक पद से हटाने का फैसला गैर-कानूनी: राजेश सिंह
Jamshedpur : जमशेदपुर की मशहूर कंस्ट्रक्शन कंपनी समय कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड में बड़ा विवाद सामने आया है। कंपनी के निदेशक राजेश सिंह और भारती सिंह को बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स से हटाए जाने के फैसले को उन्होंने पूरी तरह अवैध बताया है। मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर दोनों ने इस मामले में कोर्ट का रुख करने की बात कही।
राजेश सिंह ने आरोप लगाया कि बिना किसी पूर्व सूचना के उन्हें निदेशक पद से हटाया गया, जो कंपनी कानून और न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है। उन्होंने दावा किया कि पिछले साल 14 फरवरी 2025 को उन्होंने NCLT (नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) में एक याचिका दायर की थी, जिसके बाद 24 फरवरी 2025 को अदालत ने यह स्पष्ट आदेश दिया था कि बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। बावजूद इसके, 28 फरवरी 2025 को कंपनी के कुछ निदेशकों ने एक बैठक कर उन्हें और भारती सिंह को बाहर कर दिया।
कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप
राजेश सिंह ने इस फैसले को न्यायालय की अवमानना करार दिया। उन्होंने कहा कि यह पूरी तरह से एक साजिश के तहत किया गया है, क्योंकि उन्होंने कंपनी में हो रही करोड़ों रुपए की वित्तीय अनियमितताओं को उजागर किया था।
उन्होंने बताया कि कंपनी के वित्तीय लेन-देन को पारदर्शी बनाने के लिए उन्होंने बैंक को पत्र लिखकर यह अनुरोध किया था कि किसी भी लेन-देन के लिए केवल दो नहीं, बल्कि चार निदेशकों के हस्ताक्षर अनिवार्य किए जाएं। लेकिन उनके इस अनुरोध को नजरअंदाज कर दिया गया। जब उन्होंने एक स्वतंत्र ऑडिट और वित्तीय जांच की मांग की, तो उन्हें और भारती सिंह को बोर्ड से निकालने की साजिश रची गई।
50 करोड़ की मानहानि का दावा
राजेश सिंह और भारती सिंह ने इस फैसले के खिलाफ 50 करोड़ की मानहानि का दावा किया है। उन्होंने कहा कि यह मामला सिर्फ एक निदेशक को हटाने तक सीमित नहीं है, बल्कि कॉर्पोरेट गवर्नेंस, पारदर्शिता और न्याय का भी है।
राजेश सिंह ने सभी निवेशकों को चेतावनी दी कि समय कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड का मामला फिलहाल NCLT में लंबित है, और जब तक कानूनी लड़ाई जारी रहेगी, इसका असर कंपनी के प्रोजेक्ट्स पर पड़ सकता है। उन्होंने कहा,
“मैं इस लड़ाई को अंतिम सांस तक लडूंगा और कंपनी की साख को बचाने के लिए हरसंभव प्रयास करूंगा।”
बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में बदलाव पर सवाल
समय कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स में पहले नूतन कुमारी, राजेश कुमार सिंह, अनूप रंजन, रश्मि नारायण, राम प्रकाश पांडे, राजीव कुमार, भारती सिंह और मीना देवी शामिल थे। लेकिन 28 फरवरी 2025 को बिना किसी सूचना के राजेश सिंह और भारती सिंह को बाहर करने का फरमान जारी कर दिया गया।
अब सवाल यह उठता है कि क्या रियल एस्टेट सेक्टर में इस तरह के फैसले ग्राहकों और निवेशकों के हित में हैं? क्या इससे प्रोजेक्ट्स पर असर पड़ेगा?
राजेश सिंह का कहना है कि पिछले 8 वर्षों से इस विवाद को सुलझाने के लिए सामाजिक और कॉर्पोरेट स्तर पर कई प्रयास किए गए, लेकिन जब उन्होंने वित्तीय घोटालों पर सवाल उठाए, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की गई।
निवेशकों को सतर्क रहने की सलाह
राजेश सिंह ने निवेशकों से अपील की कि वह किसी भी नए प्रोजेक्ट में निवेश करने से पहले सावधानी बरतें, क्योंकि मामला न्यायालय में लंबित है और जब तक कानूनी विवाद चलता रहेगा, इसका असर कंपनी की कार्यप्रणाली पर पड़ सकता है।
क्या यह विवाद सिर्फ एक निदेशक को हटाने का है, या फिर इसके पीछे छिपी है कोई बड़ी वित्तीय साजिश? यह तो आने वाला समय ही बताएगा।
