Jamshedpur : स्टील स्ट्रिप व्हील्स लिमिटेड (SSWL) बनाम मजदूर यूनियन प्रतिनिधि राजीव पांडे केस में आज एक अहम मोड़ आया, जब साक्षी राजकमल तिवारी द्वारा दिए गए बयान का स्वयं राजीव पांडे ने जिरह कर खंडन किया। अदालत में आज की कार्यवाही के दौरान कई महत्वपूर्ण सवाल उठाए गए, जिससे इस मुकदमे की गंभीरता और बढ़ गई।
गवाह की विश्वसनीयता पर सवाल
अदालत में जब साक्षी राजकमल तिवारी से जिरह की गई, तो राजीव पांडे ने उनके बयान की सटीकता और सत्यता पर सवाल उठाए। प्रमुख बिंदु इस प्रकार रहे:
1.अनुसंधान अधिकारी (IO) ने बयान लिया या नहीं?
साक्षी से पूछा गया कि उनका बयान किस तारीख, किस माह, किस वर्ष और किस समय दर्ज किया गया था। इससे यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि क्या गवाह का बयान आधिकारिक रूप से लिया गया था या नहीं।क्या गवाह झूठी गवाही दे रहा है?
2.क्या गवाह झूठी गवाही दे रहा है?
राजीव पांडे ने गवाह पर सीधा आरोप लगाया कि वे इस घटना के बारे में कुछ नहीं जानते और झूठी गवाही दे रहे हैं।
3.घटनास्थल की भौगोलिक स्थिति का ज्ञान
जिरह के दौरान गवाह से पूछा गया कि घटनास्थल के पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण में क्या स्थित है। यह देखने के लिए किया गया कि क्या गवाह वास्तव में वहां मौजूद था या सिर्फ सुनी-सुनाई बातों के आधार पर गवाही दे रहा है।
4.राजीव पांडे से व्यक्तिगत संबंध?
गवाह से पूछा गया कि क्या वे व्यक्तिगत रूप से राजीव पांडे को जानते हैं। साथ ही, क्या वे उनके माता-पिता और बहन का नाम बता सकते हैं। इससे यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि क्या कोई व्यक्तिगत दुश्मनी के कारण झूठी गवाही दी जा रही है।
2016 के धरना-प्रदर्शन और मजदूर संघर्ष पर चर्चा
1.9 फरवरी 2016 को हुए हड़ताल की सच्चाई
गवाह से पूछा गया कि क्या यह सही है कि 9 फरवरी 2016 को हजारों मजदूरों ने SSWL कंपनी के खिलाफ धरना दिया था और क्या यह हड़ताल राजीव पांडे के नेतृत्व में हुए लिखित समझौते के बाद समाप्त हुई थी।
2.कंपनी पर लगे श्रम कानून उल्लंघन के आरोप
वर्ष 2016 में राजीव पांडे की शिकायत पर SSWL प्रबंधन के खिलाफ न्यूनतम मजदूरी, ESI और अन्य श्रम कानूनों के उल्लंघन का मुकदमा दर्ज हुआ था। गवाह से पूछा गया कि क्या वे इस मामले की सत्यता की पुष्टि कर सकते हैं।
3.क्या आरोपी कर्मचारी 8-10 वर्षों से कार्यरत थे?
गवाह से पूछा गया कि क्या मामले में नामजद सभी आरोपी कर्मचारी 8-10 वर्षों से कंपनी में कार्यरत थे। यदि हां, तो उनकी भागीदारी पर सवाल उठाए जा सकते हैं।
8.श्रम विभाग और DLC कार्यालय के हस्तक्षेप
यह सवाल उठाया गया कि क्या श्रम विभाग और DLC कार्यालय ने SSWL के मजदूर-विरोधी रवैये से परेशान होकर कई कानूनी मुकदमे दर्ज किए थे। इससे यह स्पष्ट करने की कोशिश की गई कि क्या कंपनी पहले से ही श्रमिकों के शोषण के आरोपों में घिरी हुई थी।
राजीव पांडे ने खुद की जिरह, न्यायपालिका पर भरोसा जताया
मजदूर नेता राजीव पांडे ने यह कहते हुए खुद ही गवाह से जिरह करने का संकल्प लिया था कि उन्हें भारत की न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है। उन्होंने अदालत में साक्षी के हर बयान की गंभीरता से पड़ताल की और यह साबित करने की कोशिश की कि मामला मजदूरों के हक से जुड़ा है। इस जिरह के बाद केस की दिशा पूरी तरह से बदल सकती है। अगर साक्षी की गवाही अविश्वसनीय साबित होती है, तो यह राजीव पांडे और मजदूर यूनियन के पक्ष में जा सकता है। अब अदालत को तय करना है कि इस बयान को कितनी विश्वसनीयता दी जाए और आगे की कार्यवाही किस दिशा में बढ़ेगी।