रांची: झारखंड में नगर निकाय चुनाव को लेकर चल रही कानूनी खींचतान के बीच झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 4 महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया है। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ में इस मामले की सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान राज्य के मुख्य सचिव और नगर विकास सचिव व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित हुए। अदालत ने भारत निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि वह राज्य निर्वाचन आयोग को अद्यतन वोटर लिस्ट जल्द से जल्द उपलब्ध कराए।
प्रार्थी रोशनी खलकोवा की याचिका
मामले की शुरुआत प्रार्थी रोशनी खलकोवा द्वारा नगर निकाय चुनाव कराने के लिए झारखंड हाईकोर्ट में याचिका दायर करने से हुई। प्रार्थी ने दावा किया कि सरकार चुनाव कराने में जानबूझकर देरी कर रही है। उनका कहना था कि बिना ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया के भी चुनाव कराए जा सकते हैं, लेकिन सरकार की मंशा इस दिशा में स्पष्ट नहीं है। राज्य सरकार ने अदालत को बताया कि पिछड़े वर्गों को आरक्षण प्रदान करने की पात्रता सुनिश्चित करने के लिए जिला स्तर पर ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। कुछ जिलों में यह प्रक्रिया बाकी है, जिसे शीघ्र पूरा कर लिया जाएगा। सरकार ने देरी के लिए भारत निर्वाचन आयोग से अद्यतन वोटर लिस्ट प्राप्त न होने को जिम्मेदार ठहराया।
अदालत की सख्ती और आदेश
हाईकोर्ट ने एकल पीठ के तीन सप्ताह में चुनाव कराने के आदेश का अनुपालन न करने पर सरकार से सवाल पूछे। सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन ने दलील दी कि तकनीकी प्रक्रियाओं के कारण देरी हो रही है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को स्पष्ट रूप से कहा कि चुनाव कराने की प्रक्रिया शुरू करने के लिए चार महीने का समय दिया जा रहा है, और अब कोई देरी बर्दाश्त नहीं की जाएगी। 4 जनवरी नवरी 2024 को झारखंड हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सरकार को तीन सप्ताह के भीतर नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ सरकार ने खंडपीठ में अपील की, लेकिन वह भी खारिज हो गई। खंडपीठ ने एकल पीठ के आदेश को सही ठहराया और सरकार को जल्द चुनाव कराने के लिए निर्देशित किया।
भाजपा नेता अखिलेश सिंह ने राज्य सरकार पर खड़ा किया सवाल
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने का समय देकर मुख्य सचिव को अगली सुनवाई में व्यक्तिगत उपस्थिति से छूट दी है। अदालत ने स्पष्ट किया कि अगली सुनवाई में चुनाव की प्रगति पर रिपोर्ट प्रस्तुत करना अनिवार्य होगा। वहीं भाजपा नेता अखिलेश सिंह ने पूरे मामले में राज्य सरकार को घेरते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा चुनाव प्रक्रिया में देरी राजनीतिक मंशा का संकेत दे रही है। कहीं ना कहीं राज्य सरकार जनता के मताधिकार का प्रयोग करने से उनको वंचित करने का प्रयास कर रही है।
हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद निर्धारित की है। इस बीच, राज्य सरकार और भारत निर्वाचन आयोग के बीच समन्वय की जरूरत होगी ताकि नगर निकाय चुनाव समय पर कराए जा सकें। झारखंड हाईकोर्ट का यह आदेश सरकार पर नगर निकाय चुनाव जल्द कराने का दबाव बढ़ा सकता है। अब देखना यह होगा कि राज्य सरकार और संबंधित विभाग इन चार महीनों में प्रक्रिया को पूरा कर पाते हैं या नहीं।