मुंबई : महाराष्ट्र में वक्फ बोर्ड द्वारा हिंदू, आदिवासी और निजी जमीनों पर कथित अतिक्रमण के आरोप ने राज्य की राजनीति में गर्मी ला दी है। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रशेखर बावनकुले ने वक्फ बोर्ड पर गंभीर आरोप लगाते हुए दावा किया है कि बोर्ड ने कानून का दुरुपयोग कर लाखों एकड़ जमीन अपने नाम कर ली है। उन्होंने यह भी मांग की कि इन जमीनों को अतिक्रमण मुक्त कर मूल मालिकों को वापस किया जाए।
आरोप और प्रतिक्रिया:
- अतिक्रमण के आरोप: चंद्रशेखर बावनकुले का कहना है कि वक्फ बोर्ड ने हिंदू, आदिवासी और निजी लोगों की जमीनों पर अवैध कब्जा किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि बोर्ड ने पूर्व के कानूनों का आधार लेकर और कुछ मामलों में वक्फ का गलत उपयोग करते हुए जमीनों को अपने नाम दर्ज करवा लिया है। बावनकुले ने सरकार से आग्रह किया है कि वह सभी संबंधित जमीनों का रिकॉर्ड ठीक करे और जांच शुरू करे।
- जांच और कार्रवाई की मांग: बावनकुले ने मांग की है कि एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया जाए जो वक्फ बोर्ड के कब्जे वाली जमीनों की जांच करे। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह समिति सुनिश्चित करे कि अतिक्रमण की गई जमीनें उनके मूल मालिकों को वापस मिलें।
- विहिप का विरोध: यह बयान ऐसे समय पर आया है जब विश्व हिंदू परिषद (विहिप) ने महाराष्ट्र सरकार द्वारा वक्फ बोर्ड को 10 करोड़ रुपये का अनुदान देने के फैसले का कड़ा विरोध किया है। विहिप ने आरोप लगाया कि इस अनुदान की कोई आवश्यकता नहीं है और इसे त्वरित रूप से दिया गया, जोकि अनुचित है।
राजनीतिक संदर्भ:
बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के इस बयान का मुख्य उद्देश्य, हिंदू संगठनों के समर्थन को मजबूत करना और महाराष्ट्र सरकार पर दबाव बनाना हो सकता है। यह भी संभव है कि यह बयान बीजेपी के आगामी चुनावों के लिए एक रणनीतिक कदम हो, जिसमें वे हिंदू मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे हों।
वक्फ बोर्ड का पक्ष:
वक्फ बोर्ड एक सरकारी निकाय है जो मुसलमानों द्वारा दान की गई संपत्तियों का प्रबंधन करता है। यह बोर्ड विभिन्न समुदायों की सामाजिक और धार्मिक गतिविधियों के लिए धन और संसाधन जुटाता है। बावनकुले के आरोपों के संदर्भ में, वक्फ बोर्ड के पास भी अपना पक्ष हो सकता है कि वे कानूनी तरीके से ही संपत्तियों का अधिग्रहण कर रहे हैं।
सरकार की भूमिका:
इस विवाद के बीच, महाराष्ट्र सरकार की भूमिका महत्वपूर्ण है। उच्च स्तरीय समिति गठित करने की मांग पर सरकार का रुख क्या होगा, यह देखने वाली बात होगी। साथ ही, यह भी देखना होगा कि सरकार वक्फ बोर्ड को दिए गए अनुदान के विरोध पर क्या प्रतिक्रिया देती है।