जमशेदपुर: इस बार लोकसभा चुनाव में सिंहभूम सीट से एनडीए की प्रत्याशी गीता कोड़ा को इंडिया ऑलिअन्स की प्रत्याशी जोबा माझी ने 1,68,702 मतों से परास्त किया है। लेकिन सीएम चंपई सोरेन के अपने विधानसभा छेत्र में गीता जोबा पर भारी पड़ीं, जो उनके लिए चिंता का विषय है। आपको बता दें कि सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में कुल 2 लाख 61 हजार 344 वोट पड़े। इनमें से 2 लाख 57 हजार 461 वोट वैद्य पड़े। वहीं, 3 हजार 883 वोट नोटा को पड़े। गीता कोड़ा को यहाँ के 8 मंडलों के सभी 431 बूथों से 1 लाख 18 हजार 773 वोट मिले, जबकि जोबा माझी को 98 हजार 488 वोट मिले। ऐसे में अहम बात यह है कि गीता कोड़ा ने मुख्यमंत्री के गढ़ में बढ़त हासिल की, जिसका मतलब है कि कहीं न कहीं मुख्यमंत्री को आगामी विधानसभा चुनाव में सतर्क रहना होगा। हालांकि, सीएम चंपई सोरेन पिछले 20 सालों से इस सीट पर अपराजित हैं।
झारखंड में इतिहास के पन्नों को पलटें तो अर्जुन मुंडा और रघुवर दास वो चेहरे है जो मुख्यमंत्री रहते हुए भी विधानसभा चुनाव लड़ लड़े, और उन दोनों को ही हार का सामना करना पड़ा। लोकसभा चुनाव में मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के विधानसभा से जो आंकड़े सामने आए हैं, उसे चंपई सोरेन के लिए इस मिथक को तोड़ना चुनौती होगा, और कहीं न कहीं यह उनके लिए खतरे की घंटी हैं। भाजपा खुद को सांत्वना दे सकता है कि सरायकेला विधानसभा सीट से उनकी उम्मीदवार गीता कोड़ा को 20 हजार 488 वोटों की बढ़त मिली है, लेकिन उन्हें यह भी ध्यान रखना होगा कि अगर जेबीकेएसएस समर्थित उम्मीदवार दामोदर सिंह हांसदा चुनावी मैदान में नहीं होते, तो उनकी यह इच्छा पूरी नहीं हो पाती। दामोदर हांसदा को यहां से कुल 29 हजार 141 वोट मिले हैं। इसमें झामुमो और भाजपा दोनों के कुर्मी मतदाता हैं, जो किसी का भी समीकरण बिगाड़ने की क्षमता रखते हैं। मतलब साफ है कि कुर्मी मतदाता झामुमो और भाजपा दोनों के लिए अगले विधानसभा में अहम भूमिका निभा सकते हैं। हालांकि गम्हरिया पूर्वी, राजनगर पूर्वी और पश्चिमी को छोड़कर दामोदर हांसदा ने सभी डिवीजनों में अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है।