मेटालसा वर्कर्स यूनियन के संघर्ष के बाद झारखंड के मुख्य कारखाना निरीक्षक ने जांच के आदेश दिए। 90% मांगें मानी गईं, हड़ताल स्थगित। जानें पूरा मामला।

मेटालसा वर्कर्स यूनियन के संघर्ष का बड़ा असर

झारखंड के सरायकेला में मेटालसा वर्कर्स यूनियन की शिकायत के बाद मुख्य कारखाना निरीक्षक ने बड़ी कार्रवाई की है। उन्होंने कारखाना निरीक्षक को निर्देश दिया कि सभी नियमों का पालन करते हुए एक सप्ताह के भीतर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। इस फैसले को मजदूरों की जीत के रूप में देखा जा रहा है।

मजदूरों के अधिकारों की जीत: एक कैंटीन में भोजन का नियम लागू

यूनियन के दबाव के बाद एक ऐतिहासिक निर्णय लिया गया है, जिसके तहत स्थायी और ठेका मजदूर अब एक ही कैंटीन में भोजन करेंगे। यूनियन अध्यक्ष राजीव पांडे ने इस फैसले को मजदूरों की गरिमा की जीत बताया।

इसके अलावा, यूनियन की प्रमुख मांगों में शामिल B शिफ्ट की बहाली और कोरोना काल में दी गई आर्थिक सहायता की वसूली रोकने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया गया है।

आंदोलन को मिली सफलता: 90% मांगें स्वीकार, हड़ताल स्थगित

कई दिनों से जारी हड़ताल के बाद मजदूर यूनियन और कंपनी प्रबंधन के बीच सकारात्मक वार्ता हुई। इसका नतीजा यह रहा कि 90% मांगों पर सहमति बनी और आंदोलन को 24 मार्च 2025 तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

शेष मांगों पर निर्णय के लिए गठित हुई जांच समिति

कंपनी प्रबंधन पर लगे आरोपों की जांच के लिए एक विशेष समिति का गठन किया गया है। यह समिति 24 मार्च 2025 को मेक्सिको से आएगी और शेष मांगों पर अंतिम निर्णय लेगी।

स्वीकृत मांगें: मजदूरों के लिए राहत भरे फैसले

✔ ‘बैंक आवर’ प्रणाली को स्थायी रूप से समाप्त किया गया।
✔ B शिफ्ट बहाल कर दी गई।
✔ ठेका श्रमिकों को मासिक बोनस के बजाय वार्षिक भुगतान मिलेगा।
✔ हाउसकीपिंग स्टाफ को भी स्थायी मजदूरों की तरह कैंटीन सुविधा मिलेगी।
✔ अस्थायी एवं ठेका मजदूरों के लिए ओवरटाइम (OT) का भुगतान दोगुना किया जाएगा।

15 साल पुराने संघर्ष का नतीजा

यह आंदोलन सिर्फ वेतन बढ़ाने के लिए नहीं, बल्कि पिछले 15 वर्षों से चले आ रहे अन्याय और शोषण के खिलाफ लड़ाई थी। मजदूरों को बैंक आवर, ओवरटाइम और अन्य सुविधाओं से वंचित रखा गया था।

जब यूनियन बनी, तो प्रबंधन ने इसे तोड़ने की कोशिश की और जबरन हस्ताक्षर कराने का प्रयास किया। इसके विरोध में 3 मार्च 2025 से मजदूरों ने हड़ताल शुरू की, जिसके बाद प्रबंधन को झुकना पड़ा और 90% मांगें माननी पड़ीं।

यूनियन की चेतावनी: 24 मार्च तक निर्णय नहीं हुआ, तो बड़ा आंदोलन

यूनियन ने साफ कर दिया है कि अगर 24 मार्च तक सभी मांगों पर ठोस निर्णय नहीं हुआ, तो एक और बड़े आंदोलन की योजना बनाई जाएगी। इस पर पूरी जिम्मेदारी कंपनी प्रबंधन की होगी।

यूनियन अध्यक्ष राजीव पांडे का बयान

“हम मजदूरों के अधिकारों की रक्षा के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध हैं। हमारा मकसद कंपनी को नुकसान पहुंचाना नहीं, बल्कि मजदूरों को उनका हक दिलाना है। हमने प्रबंधन को सोचने का समय दिया है, लेकिन अगर 24 मार्च तक समाधान नहीं निकला, तो आंदोलन और बड़ा होगा।”

मजदूरों का संदेश: एकता में ताकत है

“संघर्ष ही जीत की नींव रखता है। मजदूरों की एकता ने यह साबित कर दिया कि जब हम संगठित होते हैं, तो हमारी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। संगठन में शक्ति है, और यही हमारी सबसे बड़ी ताकत है।”

 

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