

जमशेदपुर।
तीन दिवसीय झारखंड बटरफ्लाई फेस्टिवल 2025 का समापन रविवार को हुआ, जिसमें प्रकृति प्रेमियों, विद्यार्थियों और शोधार्थियों को तितलियों, पक्षियों एवं जंगल पारिस्थितिकी के बारे में विज्ञान-सम्मत और व्यवहारिक जानकारी दी गई।
फेस्टिवल का अंतिम दिन जंगल ट्रेल के साथ शुरू हुआ, जिसमें प्रतिभागियों को लगभग 1 किलोमीटर लंबी यात्रा पर ले जाया गया। इस ट्रेल का नेतृत्व भारतीय वन्यजीव संस्थान, देहरादून के पूर्व वैज्ञानिक डॉ. वी. पी. उनियाल, राष्ट्रीय डॉल्फिन अनुसंधान केंद्र, पटना के निदेशक डॉ. गोपाल शर्मा और जैव विविधता विशेषज्ञ डॉ. वंदना मेहरवाल ने किया।
तितलियाँ: प्रकृति की सूचक और सौंदर्य की प्रतीक
डॉ. वी. पी. उनियाल ने प्रतिभागियों को तितलियों के प्राकृतिक आवास, होस्ट प्लांट और विविध प्रजातियों की पहचान के वैज्ञानिक तरीके सिखाए। उन्होंने कहा, “तितलियाँ जलवायु परिवर्तन की संवेदनशील सूचक होती हैं। इनके जीवन चक्र में आने वाला बदलाव हमें पर्यावरणीय संकट की ओर इशारा करता है।”
उन्होंने तितलियों की कुछ दुर्लभ प्रजातियों के लुप्त होने के कारणों पर भी चर्चा की और बायोइंडिकेटर इन्सेक्ट्स की भूमिका पर व्याख्यान दिया।
पक्षी संरक्षण: बच्चों के लिए ज्ञानवर्धक अनुभव
डॉ. गोपाल शर्मा ने प्रतिभागियों को पक्षियों की पहचान, उनके आवास और पर्यावरणीय उपयोगिता के बारे में बताया। उन्होंने चिड़ियों की फोटोग्राफी के जरिए बच्चों को आकर्षित किया और बताया कि गौरैया, गिद्ध, जलपक्षियों की कई प्रजातियाँ तेजी से घट रही हैं, जिसका प्रमुख कारण कीटनाशकों का अंधाधुंध प्रयोग है।
उन्होंने गौरैया के संरक्षण के लिए लकड़ी के घोंसले वितरित करने जैसी अपनी व्यक्तिगत पहल साझा की, जिससे गौरैया ने घोंसला बनाकर अंडे देना शुरू किया है।
जंगल पारिस्थितिकी: हर वनस्पति का है महत्व
डॉ. वंदना मेहरवाल ने जंगलों में पाई जाने वाली प्राकृतिक और बाहरी वनस्पतियों पर प्रकाश डाला और बताया कि कुछ विदेशी पौधे स्थानीय पारिस्थितिकी को प्रभावित कर रहे हैं। उन्होंने जंगल पारिस्थितिकी को समझाने के लिए पौधों और जीव-जंतुओं के सहअस्तित्व के उदाहरण दिए।
तितलियों की रियरिंग पर कार्यशाला
डॉ. धारा ठक्कर (मुंबई) ने प्रतिभागियों को घर में तितलियों की रियरिंग करने की विधियों से अवगत कराया और बताया कि कैसे एक आम नागरिक भी तितली संरक्षण में भूमिका निभा सकता है।
सम्मान और स्मृति
कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों को प्रशासनिक प्रमाणपत्र देकर सम्मानित किया गया। आयोजकों ने इसे प्रकृति प्रेम, वैज्ञानिक सोच और संवेदनशीलता को प्रोत्साहित करने वाला अद्वितीय आयोजन बताया।