विश्व आदिवासी दिवस पर संगोष्ठी: परंपरा, तकनीक और अधिकारों पर गहन मंथन

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Jamshedpur। : जमशेदपुर कॉ-ऑपरेटिव महाविद्यालय परिसर में शनिवार को विश्व आदिवासी दिवस बड़े उत्साह और गरिमा के साथ मनाया गया। इस वर्ष का वैश्विक थीम “Indigenous People and AI: Defending Rights, Shaping Futures” रहा, जिस पर बहु-विषयक दृष्टिकोण से चर्चा हुई।

कार्यक्रम की शुरुआत आदिवासी आंदोलन के जननायक आदरणीय गुरुजी शिबु सोरेन को श्रद्धांजलि अर्पित कर हुई। वक्ताओं ने उनके संघर्षपूर्ण जीवन के अनछुए पहलुओं को याद किया और उनके आदर्शों पर चलने का आह्वान किया।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अमर कुमार सिंह ने उद्घाटन संबोधन में आदिवासी समाज की सांस्कृतिक विरासत, आत्मनिर्णय के अधिकार और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) के संदर्भ में अधिकारों की सुरक्षा व भविष्य की संभावनाओं पर अपने विचार रखे।

मुख्य वक्ता एवं लॉ कॉलेज के प्राध्यापक संजीव कुमार बीरउली ने कहा कि जहां AI सांस्कृतिक संरक्षण, भाषा पुनर्जीवन और शिक्षा में अवसर पैदा कर सकता है, वहीं इसके साथ पक्षपात, गलत प्रस्तुतीकरण और डेटा के दुरुपयोग जैसी चुनौतियां भी जुड़ी हैं। उन्होंने चेताया कि यदि आदिवासी समुदाय की भागीदारी के बिना तकनीक विकसित हुई, तो यह उनकी पहचान और अधिकारों के लिए खतरा बन सकती है।

कार्यक्रम में कॉमर्स विभाग के डॉ. अशोक कुमार रवानी, बी.एड विभाग की डॉ. फ्लोरेंस बेक सहित अनेक प्राध्यापक और बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। इस दौरान विषय पर प्रश्नोत्तर, विचार-विमर्श और सांस्कृतिक प्रस्तुतियां भी हुईं। संचालन डॉ. स्वाति सोरेन ने किया, जबकि धन्यवाद ज्ञापन डॉ. फ्लोरेंस बेक ने दिया।

यह आयोजन न केवल आदिवासी समुदाय के गौरवशाली इतिहास और मौजूदा चुनौतियों पर प्रकाश डालता है, बल्कि भविष्य की दिशा तय करने का मार्ग भी दिखाता है।

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