Labour Strike 2016 : झारखंड हाई कोर्ट में चल रहे चर्चित स्टील स्ट्रिप व्हील्स लिमिटेड बनाम मजदूर नेता राजीव पांडे मामले में सुनवाई निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुकी है। कोरोना काल के दौरान मजदूर हित में शत-प्रतिशत आर्थिक सहायता के सरकारी आदेश के अनुपालन को लेकर उठे इस विवाद ने अब श्रमिक अधिकारों से जुड़े बड़े कानूनी मसले का रूप ले लिया है।
इंटक के मजदूर नेता राजीव पांडे के नेतृत्व में कोरोना अवधि में आंदोलन चलाए गए थे। उस दौरान जमशेदपुर स्थित स्टील स्ट्रिप व्हील्स के प्लांट हेड विनीत अग्रवाल के आवास के समक्ष सैकड़ों मजदूरों ने धरना-प्रदर्शन किया था। आंदोलन के कारण प्रबंधन की ओर से वर्ष 2016 की श्रमिक हड़ताल, मारपीट, तोड़फोड़ और आगजनी से जुड़े GR केस 54/2016 को आधार बनाकर राजीव पांडे की हाई कोर्ट से प्राप्त अग्रिम जमानत को रद्द कराने हेतु CRMP 2825/2020 के अंतर्गत याचिका दायर की गई। इस याचिका पर पिछले पांच वर्षों से सुनवाई चल रही है और अब मामले में अंतिम निर्णय की घड़ी निकट मानी जा रही है।
अनुसंधानकर्ता की अनुपस्थिति पर कोर्ट सख्त
जमशेदपुर स्थित ADJ-2 न्यायालय में भी इस केस की सुनवाई हो रही है, जहां हाल ही में अनुसंधानकर्ता (IO) दिलीप कुमार साव की गवाही निर्धारित थी। परंतु उनकी अनुपस्थिति ने कार्यवाही को प्रभावित किया। न्यायालय ने IO की अनुपस्थिति को गंभीरता से लेते हुए उन्हें नोटिस जारी किया है। इसके साथ ही चार अन्य व्यक्तियों के विरुद्ध जमानतीय वारंट और तीन के खिलाफ सम्मन जारी किए गए हैं।
गवाह की विश्वसनीयता पर तीखी जिरह
सुनवाई के दौरान मजदूर यूनियन के नेता राजीव पांडे ने खुद गवाह राजकमल तिवारी से तीखी जिरह की। उन्होंने गवाह से उसके बयान की प्रमाणिकता, घटनास्थल की सटीक जानकारी, उनके व्यक्तिगत संबंधों और उस समय की श्रम आंदोलन की परिस्थितियों से जुड़े अनेक सवाल किए। राजीव पांडे का कहना है कि यह मामला केवल कानूनी नहीं, बल्कि श्रमिक अधिकारों और उनके हितों की रक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।
न्यायपालिका पर भरोसा, जल्द फैसला संभव
राजीव पांडे ने न्यायालय में यह भी स्पष्ट किया कि उन्हें भारतीय न्यायपालिका पर पूर्ण विश्वास है और वे निष्पक्ष न्याय की अपेक्षा रखते हैं। न्यायालय ने अनुसंधानकर्ता की गवाही के लिए अगली सुनवाई की तिथि निर्धारित कर दी है। कानूनी विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी सुनवाई इस प्रकरण की दिशा तय करेगी।
मामला निर्णायक मोड़ पर
IO की अनुपस्थिति, वारंट एवं सम्मन जारी होना और गवाह की जिरह से यह केस अब निर्णायक स्थिति में पहुंच चुका है। आने वाली कार्यवाही में तय होगा कि उपलब्ध साक्ष्यों, गवाहों की विश्वसनीयता और कानूनी दलीलों के आधार पर न्यायालय किस निष्कर्ष पर पहुँचता है। राजीव पांडे, मजदूर प्रतिनिधि के अनुसार, “यह लड़ाई केवल मेरे लिए नहीं, बल्कि मजदूरों के हक के लिए है। न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोसा है।”
