Tribal Land Rights : सिरमटोली सरना स्थल विवाद, जांच पूरी होने तक फ्लाईओवर का कार्य ठप – एनसीएसटी सदस्य डॉ. आशा लकड़ा

Ranchi : टोली फ्लाईओवर के रैंप निर्माण को लेकर आदिवासी समुदाय के विरोध के बीच राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग (एनसीएसटी) की सदस्य डॉ. आशा लकड़ा ने स्पष्ट किया है कि जब तक आयोग इस मामले की जांच पूरी नहीं कर लेता, तब तक न तो इस योजना का उद्घाटन होगा और न ही कोई निर्माण कार्य किया जा सकेगा।



यह बयान उन्होंने मोरहाबादी स्थित आर्यभट्ट सभागार में जनजातीय सामाजिक संगठनों और केंद्रीय सरना समिति के साथ हुई बैठक में दिया। डॉ. लकड़ा ने कहा, “यह जनजातीय समाज का हुंकार है। हमारी परंपरा पर हमला हुआ है और आदिवासी समाज इसका कड़ा विरोध करता है।” उन्होंने सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल पर हुए अतिक्रमण और निर्माण कार्य को लेकर अपनी पीड़ा भी जताई।



उन्होंने बताया कि आयोग ने झारखंड के 22 जिलों का भ्रमण कर चार जिलों की रिपोर्ट तैयार की है, जिसमें आदिवासी समाज की संस्कृति, भूमि, बेटी और जीवनशैली के सामने आ रहे खतरों को उजागर किया गया है।



बैठक में एनसीएसटी के विधिक सलाहकार सुभाशीष रशिक सोरेन, अनुसंधान अधिकारी प्रदीप कुमार दास, आइटीडीए के प्रोजेक्ट डायरेक्टर संजय भगत, पूर्व विधायक गंगोत्री कुजूर, केंद्रीय सरना समिति चडरी के अध्यक्ष बबलू मुंडा, मुख्य पाहन हातमा जगलाल पाहन सहित कई प्रमुख जनजातीय नेता उपस्थित रहे।



पूर्व मंत्री गीताश्री उरांव ने बैठक में कहा कि सिरमटोली स्थित सरना स्थल 46 डिसमिल भूमि में स्थित है और यह पिछले 150 वर्षों से खतियान में दर्ज है। उन्होंने आरोप लगाया कि फ्लाईओवर के नाम पर इस स्थल की 10 फीट भूमि का अधिग्रहण कर लिया गया है और परिसर में घटिया निर्माण कराए गए हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका बनी हुई है।



फूलचंद तिर्की ने कहा कि उपायुक्त रांची ने पूर्व में कहा था कि रैंप को अस्थायी रूप से हटाया जाएगा, लेकिन राज्य सरकार के दबाव में निर्माण पूरा कर दिया गया। उन्होंने मांग की कि डीपीआर में संशोधन कर रैंप को आगे या पीछे किया जाए ताकि धार्मिक स्थल सुरक्षित रह सके। डॉ. आशा लकड़ा ने आंदोलनकारियों से शांति बनाए रखने और संवैधानिक तरीकों से संघर्ष करने की अपील की।

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