सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रपति के नाम सौंपा ज्ञापन, सौम्याश्री को न्याय दिलाने की उठाई मांग

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कॉलेज प्रबंधन की यौन प्रताड़ना से तंग आकर आत्मदाह करने वाली B.Ed छात्रा के मामले में स्पीडी ट्रायल की मांग

जमशेदपुर, 18 जुलाई।
उड़ीसा में बी.एड की पढ़ाई कर रही 20 वर्षीय छात्रा सौम्याश्री की दर्दनाक आत्मदाह की घटना को लेकर पूरे देश में आक्रोश है। इसी कड़ी में शुक्रवार को सवर्ण महासंघ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रपति के नाम एक ज्ञापन सौंपा। पूर्वी सिंहभूम के उपायुक्त के माध्यम से सौंपे गए इस ज्ञापन में छात्रा को न्याय दिलाने की मांग की गई, साथ ही दोषियों के खिलाफ स्पीडी ट्रायल कोर्ट गठित कर मृत्युदंड दिए जाने की अपील की गई।ज्ञापन सौंपने वाले प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व राष्ट्रीय अध्यक्ष डी.डी. त्रिपाठी और प्रदेश महिला मोर्चा अध्यक्ष श्रीमती अनिशा सिन्हा ने किया। इस दौरान संगठन के प्रदेश और जिला स्तर के कई पदाधिकारी भी मौजूद थे।

क्या है पूरा मामला:

राष्ट्रीय अध्यक्ष त्रिपाठी ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि सौम्याश्री, जो भविष्य में एक शिक्षक बनकर समाज और राष्ट्र निर्माण में योगदान देना चाहती थी, कॉलेज प्रबंधन की यौन प्रताड़ना से तंग आ चुकी थी। महीनों से उसका विभागाध्यक्ष द्वारा यौन शोषण किया जा रहा था। बदले में मार्क्स बढ़ाने और अटेंडेंस ठीक करने की बात कहकर उससे यौन संबंधों की मांग की जाती थी। जब छात्रा ने इसका विरोध किया, तो उसे धमकी दी गई कि उसका वर्ष बर्बाद कर दिया जाएगा।

1 जुलाई 2025 को सौम्याश्री ने हिम्मत जुटाकर इसकी शिकायत कॉलेज प्रशासन और आंतरिक शिकायत समिति (ICC) से की, लेकिन न्याय की बजाय उसे चुप रहने की धमकियाँ मिलने लगीं। प्रिंसिपल ने तो यहां तक कह दिया कि यदि शिकायत वापस नहीं ली तो कॉलेज से निकाल दिया जाएगा। इस मानसिक दबाव के बीच भी सौम्याश्री ने हार नहीं मानी और NCW (राष्ट्रीय महिला आयोग)UGC, राज्य व केंद्र सरकार को टैग करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से मदद की गुहार लगाई, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई।

12 जुलाई को सौम्याश्री ने कॉलेज प्रिंसिपल के कार्यालय के सामने खुद पर केरोसिन डालकर आग लगा ली। 90% जलने के बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ 14 जुलाई को उसकी मौत हो गई।

“बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ” के नारों पर करारा तमाचा: त्रिपाठी

डी.डी. त्रिपाठी ने इस घटना को न सिर्फ शर्मनाक, बल्कि समाज और शासन की असफलता करार दिया। उन्होंने कहा कि सौम्याश्री जैसी छात्रा, जो देश की सेवा करना चाहती थी, उसके सपनों को कुचल दिया गया। यह घटना उन थोथे नारों पर तमाचा है जो “बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “नारी सुरक्षा” की बातें करते हैं।उन्होंने सवाल उठाया कि क्या किसी बेटी की विभत्स मौत पर सिर्फ मुआवजा देना पर्याप्त है? त्रिपाठी ने उड़ीसा के मुख्यमंत्री से तत्काल इस्तीफेकी मांग करते हुए कहा कि जो सरकार महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकती, उसे सत्ता में रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।

स्पीडी ट्रायल और दोषियों को मृत्युदंड की मांग

ज्ञापन में मुख्य रूप से तीन माँगें उठाई गईं:

  1. सौम्याश्री आत्मदाह कांड की CBI या न्यायिक जांच करवाई जाए।
  2. स्पीडी ट्रायल कोर्ट का गठन कर दोषियों को मृत्युदंड दिया जाए।
  3. यौन उत्पीड़न जैसे मामलों में कॉलेजों की ICC (आंतरिक शिकायत समिति) को पूर्ण रूप से स्वतंत्र और निष्पक्ष बनाया जाए।

प्रतिनिधिमंडल में मौजूद रहे ये प्रमुख सदस्य:

  • श्रीमती अनिशा सिन्हा, प्रदेश अध्यक्ष महिला मोर्चा
  • श्रीमती रजनी सिंह, प्रदेश महामंत्री
  • श्रीमती सुनीता मिश्रा, जिलाध्यक्ष
  • श्रीमती नमिता सिन्हा,
  • श्रीमती दुलारी झा,
  • माहेश्वर प्रताप सिंह, जिला संगठन महामंत्री
  • श्री बाबू बिरेंद्र सिंह, प्रदेश अध्यक्ष
  • श्री रविशंकर तिवारी, प्रदेश महामंत्री
  • श्री संजीव कुमार श्रीवास्तव, संगठन महामंत्री
  • श्री सांवर लाल शर्मा, राष्ट्रीय संरक्षक
  • श्री हृदयानंद तिवारीउपेंद्र तिवारीलैला तिवारी सहित कई अन्य पदाधिकारी