सरायकेला सिविल कोर्ट शिफ्टिंग का विरोध तेज, पूर्व उपाध्यक्ष मनोज चौधरी बोले- अस्मिता और रोजगार पर हमला

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सरायकेला।
सरायकेला जिले के पूर्व उपाध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने सिविल कोर्ट को शिफ्ट करने के निर्णय का कड़ा विरोध जताया है। उन्होंने इसे न सिर्फ़ स्थानीय लोगों की अस्मिता का मुद्दा, बल्कि सैकड़ों परिवारों की रोज़ी-रोटी से जुड़ा मामला बताया।

मनोज चौधरी ने कहा कि सिविल कोर्ट में कार्यरत अधिवक्ता, स्टांप वेंडर, टाइपिस्ट, मोहरी, स्टेशनरी विक्रेता और अन्य करीब 500 परिवारों की आजीविका इस फैसले से प्रभावित होगी। उनका आरोप है कि सरकार और प्रशासन लगातार सरायकेला की उपेक्षा कर रहे हैं और बिना ठोस कारण बताए कोर्ट को दूसरी जगह शिफ्ट करने की कोशिश कर रहे हैं।

उग्र आंदोलन की चेतावनी

चौधरी ने स्पष्ट कहा कि अगर सरकार ने यह निर्णय वापस नहीं लिया तो वे उग्र आंदोलन करने को मजबूर होंगे और “किसी भी हद तक जाने” से पीछे नहीं हटेंगे। उन्होंने प्रशासन से सवाल किया कि आखिर बार-बार सिविल कोर्ट शिफ्ट करने की ज़रूरत क्यों पड़ रही है और इसके लिए जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्रवाई क्यों नहीं हो रही है।

मुख्यमंत्री व मुख्य सचिव को पत्र

पूर्व उपाध्यक्ष ने बताया कि वे इस मुद्दे पर जल्द ही राज्य के मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर अवगत कराएंगे। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर इसके बाद भी निर्णय पर पुनर्विचार नहीं किया गया, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाएंगे।

स्थानीय असंतोष बढ़ा

सिविल कोर्ट शिफ्टिंग के फैसले के बाद सरायकेला में स्थानीय असंतोष तेजी से बढ़ रहा है। लोगों का कहना है कि इससे क्षेत्र की गरिमा को ठेस पहुँचेगी और सैकड़ों परिवार आर्थिक संकट में फँस जाएंगे।

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