Tamilnadu : अभिनेता से राजनीतिज्ञ रंजन नचियार ने बीजेपी की प्राइमरी सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है। नचियार ने अपने इस्तीफे के बयान में स्पष्ट किया कि बीजेपी द्वारा लागू किए जा रहे त्रिभाषा आरोपण (तीन भाषाओं को अनिवार्य बनाने की नीति) के खिलाफ उनके सिद्धांत हैं।
राजनीतिक बयान और इस्तीफे का कारण
रंजन नचियार ने अपने बयान में कहा,
“त्रिभाषा आरोपण गलत है।”
उनका मानना है कि इस नीति के तहत हिंदी भाषा को अनिवार्य करने के प्रयास से तमिलनाडु की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान को आघात पहुँचता है। तमिलनाडु में लंबे समय से इस तरह की नीतियों के खिलाफ विरोध रहा है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि इस मुद्दे पर स्थानीय जनता की भावनाएँ कितनी संवेदनशील हैं।
पार्टी से अलग होने का निर्णय
नचियार ने बताया कि बीजेपी के साथ बिताए गए समय के बाद, उन्हें यह महसूस हुआ कि उनके व्यक्तिगत सिद्धांत और पार्टी की नीतियाँ अब एक-दूसरे के अनुरूप नहीं हैं। इस निर्णय ने तमिलनाडु में बीजेपी की नीतियों पर फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर तब जब भाषा-संवेदनशीलता एक प्रमुख मुद्दा बना हुआ है।
तमिलनाडु की भाषा-संस्कृति पर प्रभाव
त्रिभाषा आरोपण को लेकर तमिलनाडु में पहले से ही काफी विरोध देखने को मिलता है। स्थानीय नेताओं और समाजसेवकों का तर्क है कि यह नीति राज्य की पारंपरिक भाषा और सांस्कृतिक धरोहर पर आघात करती है। नचियार का यह इस्तीफा इसी मुद्दे को उजागर करता है, और राजनीतिक परिदृश्य में नए बदलाव की संभावना को जन्म देता है।
आगे की राह
रंजन नचियार ने यह भी संकेत दिया कि वह अब नए मंच पर अपने विचारों और आदर्शों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार हैं। उनका कहना है कि वह तमिलनाडु की सांस्कृतिक और भाषाई पहचान के संरक्षण के लिए अपनी आवाज़ उठाते रहेंगे। बीजेपी की ओर से अब तक इस इस्तीफे पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है।
इस फैसले से तमिलनाडु में बीजेपी की नीतियों और पार्टी के दृष्टिकोण पर गंभीर प्रश्न उठने की संभावना है, और यह क्षेत्रीय राजनीति में नई गतिशीलता ला सकता है।