Ranchi : सिल्ली के एक घर में अचानक घुस आए नर बाघ को रेस्क्यू किए जाने के बाद अब सबकी नजरें इस सवाल पर टिकी हैं कि इस बाघ का भविष्य क्या होगा? क्या उसे चिड़ियाघर में भेजा जाएगा या फिर जंगल में वापस छोड़ा जाएगा? बाघ प्रेमियों और वन्यजीव विशेषज्ञों की उत्सुकता को देखते हुए अब वन विभाग ने इस पर स्पष्ट निर्णय लिया है।
🔸 पहली बार राज्य में सफल टाइगर रेस्क्यू
यह घटना झारखंड के वन्यजीव संरक्षण इतिहास में पहली बार है जब एक बाघ को जिंदा पकड़कर सुरक्षित रूप से संरक्षित किया गया। इस अभूतपूर्व रेस्क्यू ऑपरेशन को पलामू टाइगर रिजर्व (PTR) और रांची वन प्रमंडल की संयुक्त टीम ने अंजाम दिया। ऑपरेशन का नेतृत्व मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एवं फील्ड डायरेक्टर, PTR एस.आर. नतेशा ने किया।
रेस्क्यू टीम में शामिल थे –
रांची डीएफओ श्रीकांत
वन्यजीव डीएफओ अवनीश
सेवानिवृत्त पशु चिकित्सक डॉ. जब्बार
NTCA प्रतिनिधि, NGO सदस्य, स्थानीय मुखिया, और अन्य अनुभवी सदस्य।
इस रेस्क्यू की सीधी निगरानी झारखंड के मुख्य प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) परितोष उपाध्याय द्वारा की गई।
🔸 बाघ की होगी स्वास्थ्य और व्यवहार जांच
बाघ को पहले ट्रैंक्विलाइज़ कर सुरक्षित पिंजरे में पलामू टाइगर रिजर्व लाया गया है। वहां उसे सॉफ्ट रिलीज सेंटर में निगरानी में रखा गया है, जहां उसके स्वास्थ्य और व्यवहार का वैज्ञानिक आकलन किया जा रहा है। विशेषज्ञों की रिपोर्ट के बाद, बाघ को पुनः उसके प्राकृतिक आवास यानी जंगल में छोड़ने का निर्णय लिया गया है।
🔸 चिड़ियाघर नहीं, जंगल ही बनेगा ठिकाना
वन विभाग ने स्पष्ट किया है कि यह बाघ किसी जू में नहीं जाएगा, बल्कि उसे प्राकृतिक वास में वापस भेजा जाएगा, जिससे उसका स्वतंत्र जीवन सुरक्षित रूप से आगे बढ़ सके।
यह पूरा अभियान झारखंड के वन विभाग की क्षमता, समर्पण और वैज्ञानिक दृष्टिकोण का प्रमाण है, जो राज्य के बाघ संरक्षण कार्यक्रम को एक नई दिशा प्रदान करता है।
