Saraikela : नीमडीह थाना क्षेत्र से एक और चौंकाने वाला मामला सामने आया है, जिसने राज्य में डायन प्रताड़ना जैसी सामाजिक कुप्रथा और पुलिस तंत्र की निष्क्रियता को बेनकाब कर दिया है। पीड़िता झुनू महतो ने आरोप लगाया है कि 4 जून 2025 को गांव के ही सात लोगों ने उन्हें जबरन अगवा किया और रातभर एक अन्य गांव में बंधक बनाकर जान से मारने की धमकी दी।
बताया गया कि आरोपियों ने संजय महतो की बीमारी का दोष झुनू पर मढ़ते हुए उन्हें कथित तौर पर कहा कि “अगर संजय ठीक नहीं हुआ, तो काटकर फेंक दिए जाओगे।” ग्रामीणों के हस्तक्षेप पर अगली सुबह उन्हें छोड़ा गया।
इस घटना की लिखित शिकायत पीड़िता ने 14 जून को नीमडीह थाना में पद्मश्री से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता छुटनी महतो के साथ की थी। लेकिन, हैरानी की बात यह है कि अब तक पुलिस ने न तो प्राथमिकी दर्ज की, न ही किसी आरोपी को पूछताछ के लिए बुलाया।
पीड़िता झुनू महतो का कहना है कि थाना पुलिस उल्टे उन्हें धमका रही है कि जब तक वे गवाह नहीं लाएंगी, तब तक मामला दर्ज नहीं किया जाएगा। “मैं अकेली महिला हूं, उस रात मेरे साथ सिर्फ मेरे पति और बेटा थे — अब गवाह कहां से लाऊं?”, उन्होंने कहा।
इस गंभीर मामले को लेकर झुनू ने 23 जून को सरायकेला-खरसावां के पुलिस अधीक्षक, उपायुक्त और राष्ट्रीय महिला आयोग को स्पीड पोस्ट के जरिए अलग-अलग पत्र भेजे हैं और अपनी सुरक्षा की मांग की है।
परिवार परामर्श केंद्र की चेतावनी भी की अनदेखी
झारखंड सरकार के परिवार परामर्श केंद्र ने इस मामले की सुनवाई के लिए 22 जून को सभी आरोपियों को समन जारी किया था, लेकिन कोई भी आरोपी सुनवाई में हाज़िर नहीं हुआ।
परामर्शदाता पद्मश्री छुटनी महतो ने इस गैरहाजिरी को गंभीरता से लेते हुए इसकी सूचना पुनः एसपी, डीसी और राष्ट्रीय महिला आयोग को भेजी है। उनका कहना है कि “यह मामला न केवल महिला उत्पीड़न का है, बल्कि थाना स्तर की लापरवाही और संवेदनहीनता का उदाहरण भी है। दोषियों के खिलाफ कड़ी और निष्पक्ष कार्रवाई होनी चाहिए।”
सामाजिक कार्यकर्ताओं और ग्रामीणों का आक्रोश
स्थानीय ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने नीमडीह थाना प्रभारी की भूमिका पर सवाल खड़े करते हुए जिला प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग की है।
यह घटना राज्य में अब भी डायन प्रताड़ना जैसे सामाजिक कलंक के जीवित रहने और उसे लेकर कानून व्यवस्था की निष्क्रियता का प्रतीक बन गई है।