Jamshedpur, 17 मार्च: ग्राम सभा बालीगुमा और गोड़गोड़ा के संयुक्त तत्वावधान में आदिवासी समुदाय ने उपायुक्त कार्यालय के समक्ष मानगो नगर निगम और अंचल कार्यालय निर्माण के विरोध में विशाल जन आक्रोश रैली निकाली। प्रदर्शनकारियों ने पारंपरिक हथियारों, तीर-धनुष और वाद्ययंत्रों के साथ विरोध जताया।
संथाल समुदाय का धार्मिक स्थल बताया, ग्राम सभा की अनुमति के बिना निर्माण पर आपत्ति
ग्रामीणों ने दावा किया कि जिस भूमि पर निर्माण प्रस्तावित है, वह संथाल समुदाय के पारंपरिक श्मशान घाट (माड़घाटी) और पवित्र धार्मिक स्थल “बिंदू चांदान जाहेर गाढ़” के रूप में सदियों से प्रयुक्त होती आ रही है। ग्रामीणों के अनुसार, सरकारी अभिलेखों और जमीनी साक्ष्यों में भी इसका उल्लेख मिलता है।
ग्रामीणों ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि खाता संख्या-727, प्लॉट संख्या-799, 975 को बिना ग्राम सभा की अनुमति के सरकारी भवन निर्माण के लिए आवंटित कर दिया गया। इसे जनविरोधी और असंवैधानिक निर्णय करार देते हुए कहा गया कि यह पांचवीं अनुसूची क्षेत्र में प्रशासन की मनमानी का उदाहरण है, जिसे किसी भी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जाएगा।
2019 और 2024 में भी हुआ था विरोध, अब शुद्धिकरण अनुष्ठान होगा
ग्राम सभा ने इससे पहले भी 31 जनवरी 2019 और 6 जनवरी 2024 को प्रशासन को लिखित रूप में विरोध पत्र सौंपा था, लेकिन इसके बावजूद प्रशासन ने जबरन सीमांकन कर दिया, जिससे आदिवासी समुदाय की परंपरा, संस्कृति और धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंची।
इससे आक्रोशित ग्रामीणों ने 18 मार्च को श्मशान भूमि और बिंदू चंदन गाढ़ के शुद्धिकरण अनुष्ठान की घोषणा की है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं और आदिवासी नेताओं की बड़ी उपस्थिति
रैली में मदन मोहन सोरेन, इंद्रो माहली, माझी बाबा रमेश मुर्मू, मोहन हांसदा, पप्पू सोरेन, सोकेन सोरेन, राखल सोरेन, सुफल सोरेन, सानिया सोरेन, फाल्गुनी सोरेन, सनातन टुडू, सुरेश टुडू, मानसिंह टुडू, राजेश सोरेन, राजू माझी, बादल धोरा, अनिल धोरा, दोन्दो धोरा, मेनका सोरेन, बसंती सोरेन, किरण टुडू, सरला टुडू, पूर्णिमा टुडू और घुरमनी टुडू समेत कई आदिवासी नेता और सामाजिक कार्यकर्ता शामिल हुए।
ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने इस फैसले को वापस नहीं लिया, तो विरोध प्रदर्शन और तेज किया जाएगा।
